28 मुर्दाद के विद्रोह के कलंक का टीका हमेशा अमेरिका और ब्रिटेन के माथे पर रहेगा
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28 मुर्दाद के विद्रोह के कलंक का टीका हमेशा अमेरिका और ब्रिटेन के माथे पर रहेगा
पार्सटुडे- इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने 28 मुर्दाद के विद्रोह में अमेरिका और ब्रिटेन की भूमिका की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईरान में जनता की चुनी हुई सरकार को 28 मुर्दाद 1332 हिजरी शमसी को विद्रोह के माध्यम से गिरवा देना कलंक का ऐसा टीका है जो अमेरिका और ब्रिटेन के माथे पर हमेशा बाक़ी रहेगा।
विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने 28 मुर्दाद 1332 हिजरी शमसी को होने वाले विद्रोह की वर्षगांठ पर सोशल प्लेटफ़ार्म एक्स पर लिखा कि ग़ुलाम बनाना, साम्राज्य, विद्रोह और दूसरे देशों में सैनिक हस्तक्षेप कराना अमेरिका और ब्रिटेन के हस्तक्षेप का मात्र एक भाग है।
पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने कहा कि 28 मुर्दाद 1332 हिजरी शमसी को ईरान में डॉक्टर मुसद्दिक़ की क़ानूनी सरकार को विद्रोह करवा कर गिरा देना और राजनीतिक, सैनिक और सुरक्षा समर्थन हमेशा- हमेशा अमेरिका और ब्रिटेन की सरकारों के माथे पर बाक़ी रहेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि
यही दोनों देश इस प्रकार के काले इतिहास के साथ इस समय भी अवैध व ग़ैर क़ानूनी सरकार और नस्ल भेदी और ग़ज़ा के लोगों का नरसंहार कर रही सरकार का समर्थन कर रहे हैं और साथ ही ख़ुद को मानवाधिकारों का रक्षा और डेमोक्रेसी का ध्वाजावाहक भी बताते हैं।
कल रविवार को 28 मुर्दाद के विद्रोह से संबंधित तेहरान की अदालत में अंतरराष्ट्रीय मामलों के संबंध में पहली बैठक आयोजित हुई। अदालत की इस बैठक में 400 से अधिक उन लोगों पर मुक़द्दमा चलाया जायेगा जिनकी 28 मुर्दाद के विद्रोह में भूमिका थी। इसी प्रकार अमेरिकी सरकार, अमेरिकी विदेशमंत्रालय, अमेरिकी वित्तमंत्रालय और अमेरिका की केन्द्रीय ख़ुफ़िया एजेन्सी पर भी मुक़द्दमा चलाया जायेगा। यह मुक़द्दमा न्यायधीश मजीद हुसैनज़ादा की अध्यक्षता में चलाया जायेगा।
मुक़द्दमे की जो फ़ाइल है उसमें 13 असली धाराओं का उल्लेख किया गया है और उसमें उन नुकसानों की ओर संकेत किया गया है जो विद्रोह के कारण ईरान को हुए हैं।
अमेरिका और ब्रिटेन के विद्रोह के कारण सबसे अधिक नुकसान ईरानी तेल को हुआ है। इसी प्रकार मुक़द्दमे की जो फ़ाइल है उसमें इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि इन दोनों देशों ने 25 वर्षों तक ईरानी राष्ट्र पर दूसरी पहलवी तानाशाही को थोप दिया।
28 मुर्दाद 1332 हिजरी शमसी बराबर 1953 ईसवी में ईरान की तानाशाही सेना के कुछ सैनिकों ने अमेरिका और ब्रिटेन के सहयोग से तत्कालीन डॉक्टर मुसद्दिक़ की क़ानूनी सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह कर दिया जिसके नतीजे में उनकी सरकार गिर गयी और मोहम्मद रज़ा पहलवी के हाथ में दोबारा सत्ता की बाग़डोर सौंप दी जो देश से भाग गया था।
डॉक्टर मुसद्दिक़ की क़ानूनी सरकार के सत्ता में आने से कुछ समय के लिए विदेशी साम्राज्यवादी सरकारों व शक्तियों का ईरान में प्रभाव ख़त्म हो गया था परंतु जब उनकी सरकार को विद्रोह के माध्यम से गिरा दिया गया तो विदेशी शक्तियों का प्रभाव दोबारा हो गया।
28 मुर्दाद 1332 का विद्रोह अमेरिका और ब्रिटेन के हस्तक्षेप का भाग था और यह विद्रोह उस समय अंजाम दिया गया जब ईरानी तेल के राष्ट्रीयकरण का आंदोलन कामयाब व सफ़ल हो रहा था। MM
कीवर्ड्सः ईरान और अमेरिका, 28 मुर्दाद का विद्रोह, अमेरिका और ब्रिटेन, डाक्टर मुसद्दिक़ की सरकार
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