विश्व का पहला मानवाधिकार घोषणापत्र कहाँ लिखा गया था?
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कुरूश का मानवाधिकार घोषणापत्र
पार्सटुडे - इतिहास में विभिन्न सभ्यताओं ने यह दावा किया है कि वे मानवाधिकार और सामाजिक न्याय की संस्थापक थीं। सामान्य धारणाएँ हमें पश्चिमी सभ्यताओं की ओर ले जाती हैं लेकिन इस प्रश्न का उत्तर कहीं और छिपा है।
क्या आपने कभी सोचा है कि "मानवाधिकार" की अवधारणा सबसे पहले दुनिया के किस हिस्से में पैदा हुई थी? इतिहास में, विभिन्न सभ्यताओं ने यह दावा किया है कि वे मानवाधिकार और सामाजिक न्याय की संस्थापक थीं। सामान्य धारणाएँ हमें पश्चिमी सभ्यताओं की ओर ले जाती हैं, लेकिन इस प्रश्न का उत्तर कहीं और छिपा है। इस लेख में पार्सटुडी ने इस सवाल का जवाब दिया है।
ईरान
दुनिया का पहला मानवाधिकार घोषणापत्र ईरान में और कुरूश के शासनकाल अर्थात 539 ईसा पूर्व में लिखा गया था। यह घोषणापत्र, जो सिलिंडर ऑफ कुरूश के नाम से प्रसिद्ध है, मानवाधिकारों के बारे में लिखित सबसे पुराना दस्तावेज़ माना जाता है और वर्तमान में ब्रिटिश म्यूज़ियम में रखा गया है।
कुरूश ने बेबीलोन पर विजय प्राप्त करने के बाद, इतिहास के कई विजेताओं के विपरीत, लूटपाट और विनाश नहीं किया, बल्कि पुनर्निर्माण और लोगों की स्वतंत्रता के लिए काम किया। इस घोषणापत्र में लिखा है:
"मेरी विशाल सेना शांति से बेबीलोन में प्रवेश की और इस देश के लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया... मैंने शांति के लिए प्रयास किया। 'नबोनिडस' ने बेबीलोन के लोगों को गुलाम बना लिया था लेकिन मैंने गुलामी को समाप्त कर दिया। मैंने आदेश दिया कि सभी लोग अपने ख़ुदाओं की इबादत करने में स्वतंत्र हों और कोई उन्हें परेशान न करे। मैंने नष्ट हुए उपासना गृहों का पुनर्निर्माण किया और विस्थापित लोगों को उनकी भूमि पर वापस लौटाया।"
आयाम:
कुरूश का सिलिंडर 22.5 सेंटीमीटर लंबा और 11 सेंटीमीटर चौड़ा है और इसका पाठ अक्कादियन भाषा में क्यूनिफॉर्म लिपि में 45 पंक्तियों में लिखा गया है।
खोज:
इस ऐतिहासिक दस्तावेज़ की खोज 1879 ईस्वी में ब्रिटिश पुरातत्वविदों की एक टीम द्वारा, "होर्मुज़्द रस्साम" के नेतृत्व में, बेबीलोन के प्राचीन स्थल पर की गई थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह मिट्टी का सिलिंडर 538 ईसा पूर्व में कुरूश के आदेश से बेबीलोन की विजय के बाद लिखा गया था। यह घोषणापत्र बेबीलोन शहर के "एसागिला" उपासना गृह में रखा गया था और अब ब्रिटिश संग्रहालय में संरक्षित है।
वैश्विक महत्व:
कुरूश का घोषणापत्र मानवाधिकारों की पहली घोषणा के रूप में मान्यता प्राप्त है और इसके कई सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र के सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र में हैं। "बान की-मून" संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव, ने इसे शांति और न्याय के प्रतीक के रूप में याद किया। 1971 में, संयुक्त राष्ट्र ने इस घोषणापत्र को छह आधिकारिक भाषाओं में प्रकाशित किया और इसकी एक प्रति न्यूयॉर्क मुख्यालय में स्थापित की। "थॉमस जेफ़रसन", अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा के मसौदे के लेखक ने "साइरोपीडिया" से प्रेरणा ली जो कुरूश के सहिष्णुता और न्याय आधारित शासन पद्धति को दर्शाता है।
न्याय का प्रतीक:
यह ऐतिहासिक दस्तावेज़ न केवल ईरानियों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए न्याय, स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के सम्मान का प्रतीक है। कुरूश का घोषणापत्र ईरान की प्राचीन और मानवतावादी सभ्यता का साक्षी है, जो आज भी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करता है। mm