अदरक, शीत ऋतु में ज़ुकाम का एक प्राकृतिक उपचार
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अदरक, शीत ऋतु में ज़ुकाम का एक प्राकृतिक उपचार
पार्स टुडे – जैसे ही ठंड का मौसम शुरू होता है, अदरक ज़मीन से निकलकर घरों में जगह बना लेता है, यह तीखा और गर्म रेशेदार पौधा न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाता है बल्कि खाँसी, गले के दर्द और सर्दी-जुकाम से लड़ने का एक प्राकृतिक उपाय भी है।
चीन और भारत की पारंपरिक चिकित्सा से लेकर ईरानी भोजन तक, अदरक केवल एक मसाला नहीं बल्कि उपचार, गर्माहट और संतुलन का प्रतीक माना जाता है।
पार्स टुडे के अनुसार फ़ारसी भाषा में अदरक को ज़ंज़फ़ील भी कहा जाता है और ईरानी पारंपरिक चिकित्सा में इसे शरीर को गर्म रखने, पाचन शक्ति बढ़ाने और मतली कम करने के लिए उपयोग किया जाता है।
यह पौधा, जिसकी प्रकृति गर्म और शुष्क मानी जाती है, ठंडी तासीर वाले लोगों के लिए अनुशंसित है। इससे शहद, नींबू या दालचीनी के साथ मिलाकर शांतिदायक और ऊर्जा देने वाले पेय तैयार किए जाते हैं। ठंड के मौसम की शुरुआत में अदरक सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली औषधीय जड़ी-बूटियों में से एक बन जाती है। अदरक, शहद और नींबू की चाय शरद और शीत ऋतु की रातों का प्रिय पेय है जो न केवल शरीर को गर्म रखती है, बल्कि सर्दी-जुकाम की रोकथाम, खाँसी में राहत और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी मज़बूत करती है।
कई ईरानी परिवारों में, अदरक घर के नुस्ख़ों का स्थायी हिस्सा है, विशेषकर इन्फ्लुएंज़ा और गले के दर्द से निपटने के लिए। वैज्ञानिक दृष्टि से, अदरक में "जिंजरॉल" और "शोगाओल" जैसे यौगिक पाए जाते हैं, जो सूजन-रोधी, विषाणु-रोधी और एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर होते हैं।
अध्ययनों से पता चला है कि अदरक का सेवन मांसपेशियों के दर्द को कम करने, पाचन क्रिया में सुधार लाने और यहाँ तक कि गर्भावस्था या कीमोथेरेपी से उत्पन्न मतली को घटाने में भी प्रभावी हो सकता है।
ईरानी खाद्य संस्कृति में अदरक का उपयोग अधिकतर मिठाइयों, हर्बल चाय और विशेष व्यंजनों में किया जाता है, जबकि पूर्वी एशियाई देशों में यह जड़ दैनिक भोजन का अभिन्न हिस्सा है जापानी सुशी से लेकर भारतीय तीखे करी व्यंजनों तक।
पश्चिमी देशों में भी अदरक को एक “सुपरफूड” के रूप में जाना जाता है और इसे सप्लिमेंट, चाय तथा ऊर्जा पेय के रूप में बेचा जाता है।
अपने तीखे स्वाद और शांतिदायक गुणों के साथ अदरक परंपरा और विज्ञान, भोजन और चिकित्सा के बीच एक सेतु है। ऐसी जड़ जो मिट्टी से उगती है लेकिन मनुष्य के भीतर गर्माहट और संतुलन स्थापित करती है, ख़ासकर उन दिनों में जब मौसम ठंडा होता है और शरीर को प्राकृतिक ऊष्मा की आवश्यकता होती है। mm