फ़ार्स की खाड़ी का वैश्विक समीकरणों में क्या भूमिका है?
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पार्स-टुडे – ईरान की फ़ार्स की खाड़ी अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण एशिया, यूरोप और अफ्रीका इन तीन महाद्वीपों के बीच सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण संपर्क केंद्र के रूप में जानी जाती है।
(last modified 2025-11-23T11:11:55+00:00 )
Nov २३, २०२५ १६:३८ Asia/Kolkata
  • ईरान की फ़ार्स की खाड़ी
    ईरान की फ़ार्स की खाड़ी

पार्स-टुडे – ईरान की फ़ार्स की खाड़ी अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण एशिया, यूरोप और अफ्रीका इन तीन महाद्वीपों के बीच सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण संपर्क केंद्र के रूप में जानी जाती है।

फ़ार्स की खाड़ी ईरान के लिए इतिहास भर में घरेलू, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अत्यंत रणनीतिक महत्व वाला क्षेत्र रही है, इस प्रकार कि ईरान की विदेश नीति के रणनीतिक निर्णय हमेशा इस क्षेत्र की स्थिति को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं।

 

पार्स-टुडे के अनुसार फ़ार्स की खाड़ी नाम की जड़ें प्राचीन इतिहास में हैं और अनेक ऐतिहासिक दस्तावेज़ व स्रोत इस नाम की पुष्टि करते हैं। इसके विपरीत कुछ क्षेत्रीय देशों और बाहरी शक्तियों द्वारा एक नकली नाम को बढ़ावा देने के प्रयास, जिनका कोई ऐतिहासिक या तार्किक आधार नहीं है, निंदनीय माने गए हैं। इन कार्रवाइयों को ईरानी राष्ट्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को निशाना बनाना समझा गया है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी केवल फ़ार्स की खाड़ी शीर्षक को ही मान्यता देती हैं।

 

फ़ार्स की खाड़ी का वैश्विक महत्व कुछ प्रमुख कारकों पर आधारित है:

 

ऊर्जा के विशाल भंडार:

फ़ार्स की खाड़ी दुनिया के लगभग 62 प्रतिशत तेल और 40 प्रतिशत गैस संसाधनों को समेटे हुए है। अनुमान बताते हैं कि फ़ार्स की खाड़ी क्षेत्र में लगभग 730 अरब बैरल प्रमाणित तेल भंडार और 70 ट्रिलियन घनमीटर से अधिक प्राकृतिक गैस भंडार मौजूद है।

 

हुर्मुज़ जलडमरूमध्य:

यह जलडमरूमध्य एक महत्वपूर्ण मार्ग है जो फ़ार्स की खाड़ी को ओमान सागर और खुले समुद्रों से जोड़ता है और दुनिया के 11 महत्वपूर्ण जलडमरूमध्यों में आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से अनोखी स्थिति रखता है। क्षेत्र का अधिकांश तेल निर्यात इसी जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है।

 

सैन्य और सुरक्षा महत्व:

क्षेत्र में सैन्य ठिकानों और पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका और ब्रिटेन के युद्धपोतों की मौजूदगी इसके रणनीतिक महत्व का प्रमाण है। ईरान- इराक के बीच युद्ध के दौरान हुए टैंकर युद्ध जैसे घटनाक्रमों के बाद यह उपस्थिति और भी बढ़ गई। mm