अमरीका है आतंकवाद और अशांति का स्रोतः वरिष्ठ नेता
(last modified Wed, 06 Jul 2016 11:44:47 GMT )
Jul ०६, २०१६ १७:१४ Asia/Kolkata
  • अमरीका है आतंकवाद और अशांति का स्रोतः वरिष्ठ नेता

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अमरीका को अशांति और आतंकवाद का मुख्य स्रोत बताया है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार को इस्लामी व्यवस्था के वरिष्ठ अधिकारियों और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से भेंट में कहा कि क्षेत्र और इस्लामी जगत में व्याप्त अशांति का मुख्य स्रोत साम्राज्यवादी शक्तियां हैं जिनमें अमरीका सर्वोपरि है।

वरिष्ठ नेता ने बल देकर कहा कि साम्राज्यवादियों का उद्देश्य, फ़िलिस्तीन के विषय को लोगों के मन से निकालकर अवैध ज़ायोनी शासन के लिए शांतिपूर्ण वातावरण उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि इन षडयंत्रों से मुक़ाबले का एकमात्र मार्ग, शत्रु की पहचान करके उसका कड़ा विरोध करना है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरानी राष्ट्र ने सिद्ध कर दिया है कि प्रगति का एकमात्र मार्ग, अडिग प्रतिरोध ही है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने ईदे फ़ित्र की बधाई देते हुए विश्व की वर्तमान अशांत स्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस समय का सबसे महत्वपूर्ण विषय, इस्लामी जगत के लिए समस्याएं उत्पन्न करने वाले स्रोत की पहचान करना है जो आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने आतंकवाद विरोधी तथाकथित गठबंधन का उल्लेख करते हुए कहा कि महाशक्तियों के दावों के विपरीत वे व्यवहारिक रूप में आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं।

वरिष्ठ नेता ने सीरिया संकट के आरंभिक महीनों में सीरिया सरकार के विरोधियों के बीच अमरीकी राजदूत की उपस्थिति और सीरिया संकट को गृहयुद्ध में परिवर्तित करने की ओर संकेत करते हुए कहा कि उन्होंने एक राजनैतिक संकट को रक्तपात में बदल दिया है और बाद में वित्तीय एवं सैनिक सहायता से दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से अतिवादियों को सीरिया और इराक़ लाकर वह संकट उत्पन्न किया जो इस समय भी बाक़ी है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने ईरानी राष्ट्र से अमरीका की शत्रुता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ईरान ने बहरैन के मामले में हस्तक्षेप नहीं किया है और न ही करेगा। उन्होंने कहा कि यदि इस देश के नेतृत्व में राजनैतिक सूझबूूझ हो तो उसे एक राजनैतिक संकट को गृहयुद्ध में बदलने से बचना चाहिए।

वरिष्ठ नेता ने यमन पर किये जाने वाले हमलों का उल्लेख करते हुए कहा कि अतिक्रमणकारियों को अपने आक्रमण बंद करने चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्लामी जगत को इस प्रकार के तत्वों को पाठ सिखाना चाहिए।