जेसीपीओए, ईरान के परमाणु अधिकारों को सिद्ध करने वाला थाः इराक़ची
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ईरान के उप विदेशमंत्री ने कहा है कि संयुक्त समग्र कार्य योजना का सबसे बड़ा कारनामा यह है कि इसके कारण ईरान की परमाणु क्षमता का अधिकार सिद्ध हुआ और उसे मज़बूती प्राप्त हुई।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Jul १२, २०१६ १६:०७ Asia/Kolkata
  • जेसीपीओए, ईरान के परमाणु अधिकारों को सिद्ध करने वाला थाः इराक़ची

ईरान के उप विदेशमंत्री ने कहा है कि संयुक्त समग्र कार्य योजना का सबसे बड़ा कारनामा यह है कि इसके कारण ईरान की परमाणु क्षमता का अधिकार सिद्ध हुआ और उसे मज़बूती प्राप्त हुई।

ईरान के उप विदेशमंत्री और संयुक्त समग्र कार्य योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा करने वाली समिति के प्रमुख सैयद अब्बास इराक़ची ने ईरान के टीवी चैनेल के साथ वार्ता में कहा कि संयुक्त समग्र कार्य योजना के क्रियान्वयन को 6 महीने का समय गुज़र चुका है और दोनों पक्षों ने जारी की गयी विषयवस्तु के आधार पर अपने वचनों के प्रति कटिबद्धता की है। इसी आधार पर सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव समाप्त कर दिये गए और तेहरान के विरुद्ध जाली केस ख़त्म हो गया।

अब्बास इराक़ची ने कहा कि ईरान की जनता का मुख्य नारा और उनकी मांग परमाणु क्षमताओं से लाठ उठाना और यूरेनियम संवर्धन के अधिकार को सिद्ध करना था। उन्होंने कहा कि ईरानी राष्ट्र के प्रतिरोध के कारण ही इस अधिकार को पहचाना गया, उसकी पुष्टि की गई और उसे मज़बूती प्रदान की गई। ईरान के उप विदेशमंत्री ने कहा कि बड़े खदे की बात यह है कि ईरान की अर्थव्यवस्था के मार्ग में अभी भी अमरीकी प्रतिबंध जैसी कुछ रुकावटें मौजूद हैं।

अब्बास इराक़चीन ने कहा कि भारी पानी की बिक्री को अंतर्राष्ट्रीय मंडियों में ईरान को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया जाना भी जेसीपीओए की एक और सफलता है। उन्होंने कहा कि तेहरान ने ईरान में उत्पादित भारी पानी को वार्ता के आधार पर अमरीका को बेचा और वर्तमान समय में रूस को 40 टन भारी पानी बेचे जाने के बारे में वार्ता चल रही है।

पश्चिमी देशों ने एक समय ईरान के परमाणु मुद्दे से मीज़इल कार्यक्रम को भी जोड़ने का प्रयास किया किन्तु ईरान की वार्ताकार टीम ने परमाणु वार्ता में मीज़ाइल कार्यक्रम को परमाणु मुद्दे से अलग किया।

इराक़चीन ने कहा कि ईरान के किसी भी मीज़ाइल की डिज़ाइनिंग, परमाणु वार हेड्स ले जाने के उद्देश्य से नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि ईरान के विदेशमंत्री ने मीज़ाइल अनुभव के मुद्दे में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून की हालिय रिपोर्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अब्बास इराक़ची ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को यह अधिकार नहीं है कि वह अपनी रिपोर्ट के माध्यम से जेसीपीओए को नुक़सान पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि ईरान के बारे में बान की मून, अमरीका और पश्चिम के दबाव से प्रभावित रहे हैं। (AK)