चरमपंथी तकफ़ीरी विचारधारा को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए
(last modified Thu, 20 Oct 2016 15:09:04 GMT )
Oct २०, २०१६ २०:३९ Asia/Kolkata
  • चरमपंथी तकफ़ीरी विचारधारा को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए

ईरान और इराक़ ने अपने संयुक्त बयान में कहा है कि विश्व और विशेषकर क्षेत्र से चरमपंथी तकफ़ीरी विचारधारा को जड़ से उखाड़ फेंकने की आवश्यकता है।

इस्लामी जागरूकता की अंतर्राष्ट्रीय असेंबली की बैठक के अवसर पर इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के सलाहकार अली अकबर विलायती और इराक़ की मजलिस ओलमाए इस्लामी के प्रमुख अम्मार हकीम ने चरमपंथी तकफ़ीरी विचारधारा को जड़ से उखाड़ फेंकने की ज़रूरत पर बल दिया।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई  के विशेष सलाहकार अली अकबर विलायती ने इस अवसर पर संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस बैठक में 22 इस्लामिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं जो मुसलमानों के बीच एकता का खुला सुबूत है।

 

अली अकबर विलायती ने कहा कि इस मंच के माध्यम से हालिया समय में इस्लामी दुनिया के एक बड़े मुद्दे तकफ़ीरी चरमपंथी विचारधारा को ख़त्म किया जा सकता है। इस अवसर पर इराक़ की मजलिस ओलमाए इस्लामी के प्रमुख अम्मार हकीम ने कहा कि इस्लामी जागरूकता की अंतर्राष्ट्रीय असेंबली में सुन्नी और शिया मुसलमानों के धर्मगुरूओं को बड़ी संख्या में शामिल किया जाएगा और इस दौरान इस्लामी जगत की ताज़ा स्थिति की समीक्षा की जाएगी।

अम्मार हकीम ने कहा कि इस्लामी जागरूकता मंच का गठन वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई  के मार्गदर्शन और दूरदर्शितापूर्ण फ़ैसलों के अतंर्गत संभव हो सका है।

 

इस अवसर पर उन्होंने इराक़ में तकफ़ीरी आतंकवादी गुट दाइश के अंतिम ठिकाने, मूसिल की ओर इराक़ी सेना और स्वयंसेवी बलों की बढ़त की ओर संकेत करते हुए कहा कि आतंकवादियों को लगातार पराजय का सामना करना पड़ रहा है। सैयद अम्मार हकीम ने कहा कि दाइश के आतंकवादियों को, इराक़ी सेना और स्वयंसेवी बलों की युद्ध की विशेष टैकटिक का अनुमान तक नहीं है।

 

उन्होंने कहा कि इराक़ी सेना की कमान ने इस बात पर बल दिया है कि मूसिल की स्वतंत्रता की लड़ाई में आम लोगों को कम से कम नुक़सान पहुंचना चाहिए। इराक़ की मजलिस ओलमाए इस्लामी के प्रमुख सैयद अम्मार हकीम ने बल देकर कहा कि जितनी तैयारी मूसिल की आज़ादी के लिए की गई है इतनी तैयारी किसी भी सैन्य अभियान के लिए नहीं की गई थी। (RZ)