हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम का शहादत दिवस
(last modified Thu, 08 Dec 2016 09:48:10 GMT )
Dec ०८, २०१६ १५:१८ Asia/Kolkata
  • हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम का शहादत दिवस

गुरूवार आठ रबीउल अव्वल बराबर 8 दिसंबर, हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम का शहादत दिवस है।

आठ रबीउल सन 260 हिजरी क़मरी को पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम इराक़ के सामर्रा शहर में शहीद कर दिए गये। उन्होंने अपनी 29 साल की ज़िन्दगी में दुश्मनों की ओर से बहुत से दुख उठाए और तत्कालीन अब्बासी शासक ‘मोतमिद’ के किराए के टट्टुओं के हाथों इराक़ के सामर्रा इलाक़े में ज़हर से शहीद हो गये।

हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम को उनके महान पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम की क़ब्र के निकट दफ़्न किया गया। इस अवसर पर हर साल इस्लामी जगत में पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों से श्रद्धा रखने वाले, हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम का शोक मनाते हैं।

हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने बहुत से शिष्यों और बुद्धिजीवियों का प्रशिक्षण किया जो अपने समय के प्रसिद्ध और महान बुद्धिजीवी बनकर सामने आए। हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के जीवन काल को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। पहला तेरह वर्षीय चरण उन्होंने पवित्र नगर मदीने में व्यतीत किया, दूसरा दस वर्षीय काल, इमामत का ईश्वरीय दायित्व संभालने के बाद सामर्रा में व्यतीत किया और तीसरा काल छह वर्षीय था जो उनकी इमामत का काल था।

उन्हें असकरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि तत्तकालीन अब्बासी शासक ने हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम और उनके पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम को असकरिया नामक एक सैन्य क्षेत्र में रहने पर मजबूर किया था ताकि अब्बासी शासक उन पर नज़र रख सके। यही कारण है कि हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम और इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम अस्करीयैन के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।

पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम की शहादत के अवसर पर पार्स टूडे अपने समस्त श्रोताओ और पाठकों के सेवा में हार्दिक संवेदना प्रस्तुत करता है। (AK)