शहीदों के नाम वरिष्ठ नेता का संदेश
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने साम्राज्यवादियों के हमलों और उनके षड्यंत्रों का लक्ष्य ईरान को बताते हुए कहा कि ईरान में धर्म और क़ुरआन पर आधारित सत्ता और दुनिया के दूसरे स्थान पर उसके फैलने के कारण, ईरान की इस्लामी व्यवस्था के विरुद्ध शत्रुओं के ख़तरों, षड्यंत्रों और गतिविधियों में वृद्धि हुई है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने गुलिस्तान प्रांत के चार हज़ार शहीदों की समिति के सदस्यों से मुलाक़ात में जो 5 दिसंबर 2016 को हुई थी और इसका बयान आज गुरूवार की सुबह गुरगान में आयोजित कार्यक्रम में जारी किया गया, इस्लामी क्रांति, राष्ट्रीय प्रतिष्ठा, भविष्य और ईरान के इतिहास की रक्षा में शहीदों के बलिदान को महान बताया गया।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि यदि यह बलिदान और स्वेच्छा से शहादत की भावना न होती तो भीषण तूफ़ानों के मुक़ाबले में इस्लामी व्यवस्था का नया पौधा, बड़ा न हो पाता और मुरझा जाता। उन्होंने कहा कि इसी आधार पर त्याग और बलिदान की भावना की रक्षा की जाना चाहिए।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने मतभेद फैलाने के लिए दुश्मनों के षड्यंत्रों और उनकी ओर से भारी पैसे ख़र्च किए जाने की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा कि ईरान में और गुलिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में दुश्मनों की जासूसी संस्थाओं, तकफ़ीरी गुटों की इच्छाओं और षड्यंत्रों के बावजूद वहां पर विभिन्न जातियों और संप्रदाय के लोग आपस में मेलजोल की रक्षा और आपसी सहयोग के लिए प्रयासरत हैं।
वरिष्ठ नेता ने इस परस्पर सहयोग और प्रेम को दुश्मनों के मतभेद फैलाने के मुक़ाबले में ठोस, दिशानिर्देशित और लक्ष्यपूर्ण राजनैतिक काम और ईरान की वास्तविक शक्ति के बिन्दुओं में बताया। उन्होंने कहा कि यह परस्पर संपर्क और समन्वय, विश्व साम्राज्यवाद अर्थात अमरीका और ज़ायोनिज़्म से असमान युद्ध में ईरान के अद्वितीय साधनों और संभावनाओं में हैं जिसको समझने और जिसकी समीक्षा करने में वे सक्षम नहीं हैं।
ज्ञात रहे कि गुलिस्तान प्रांत के चार हज़ार शहीदो को श्रद्धांजलि पेश करने का कार्यक्रम गुरूवार की सुबह संसद सभापति डाक्टर अली लारीजानी के भाषण से गुरगान शहर में आरंभ हुआ। (AK)