मुहर्रम के अवसर पर पूरे ईरान में शोक सभाओं का आयोजन जारी
इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहाद की याद में पूरे ईरान में शोक सभाओं का आयोजन जारी है।
मुहर्रम के अवसर पर पूरे ईरान में शोक सभाओं का आयोजन जारी है। यह शोक सभाएं राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हो रही हैं। आज नौ मुहर्रम को ईरान के हर शहर और गांव में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ग़म मनाया जा रहा है। इमामबाड़ों, मस्जिदों और घरों में मजलिसों का आयोजन किया जा रहा है जबकि मातमी अंजुमनें, सड़को पर जूलूस निकाल रही हैं। राजधानी तेहरान सहित देश के अन्य नगरों विशेषकर पवित्र नगरों मशहद और क़ुम में लोग मजलिसें और मातम कर रहे हैं। इमाम हुसैन की अज़ादारी का यह सिलसिला, अगले दिन अर्थात आशूर तक जारी रहेगा।
राजधानी तेहरान के हर बड़े स्कवाएर या चौराहे पर सबीलें लगी हुई हैं और मातमी जुलूस निकल रहे हैं। बड़े, छोटे, जवान, बूढे, मर्द, औरतें सब ही इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ग़म मनाते हुए अज़ादारी में मशग़ूल हैं। हर ओर काले परचम और काले कपडों में लोग दिखाई दे रहे हैं।
विशेष बात यह है कि लगभग पूरे संसार में नौ मुहर्रम की अज़ादारी एकसाथ की जा रही है। ईरान के अतिरिक्त इराक़, सीरिया, भारत, पाकिस्तान, लेबनान, तुर्की, आज़रबाइजान, कुवैत, और अन्य देशों में आज ही तासूआ अर्थात नौ मुहर्रम मनाई जा रही है।
विशेष बात यह है कि शताब्दियां गुज़र जाने के बावजूद इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद आज भी पूरे संसार में मनाई जाती है। बहुत से जानकारों का तो यह कहना है कि व्यापक स्तर पर किये जाने वाले विरोध के बावजूद इमाम हुसैन की याद मनाने में विगत की तुलना में बहुत तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
इस बारे में ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने कहा है कि इमाम हुसैन का आन्दोलन किसी से विशेष नहीं है बल्कि यह संसार के सारे स्वतंत्रता प्रेमियों के लिए है। राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि आज विश्व के एेसे कई देश हैं जो मुसलमान नहीं है किंतु वहां के लोग इमाम हुसैन का ग़म मनाते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व में एेसे बहुत से राष्ट्र हैं जो मुसलमान न होने के बावजूद इमाम हुसैन का ग़म मनाते हैं और उनको विशेष सम्मान देते हैं। राष्ट्रपति रूहानी का कहना था कि संसार के समस्त न्याय एवं स्वतंत्रताप्रेमी, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को आज़ादी का प्रतीक मानते हैं।