रक्षा शक्ति पर बातचीत नहीं होगी, वरिष्ठ नेता का दो टूक जवाब
(last modified Wed, 25 Oct 2017 10:47:16 GMT )
Oct २५, २०१७ १६:१७ Asia/Kolkata
  • आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई (बाएं) 25 अक्तूबर 2017 को तेहरान की कैडिट यूनिवर्सिटी में विशेष समारोह में भाषण देते हुए
    आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई (बाएं) 25 अक्तूबर 2017 को तेहरान की कैडिट यूनिवर्सिटी में विशेष समारोह में भाषण देते हुए

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने बल दिया है कि ईरान की रक्षा शक्ति के बारे में बातचीत नहीं होगी और जिस चीज़ से ईरानी राष्ट्र की प्रभुसत्ता सुनिश्चित हो, उस बारे में दुश्मन से किसी तरह का मामला व सौदेबाज़ी नहीं हो सकती।

उन्होंने बुधवार को इमाम अली कैडेट यूनिवर्सिटी में विशेष समारोह में भाषण के दौरान कहा, "इस्लामी व्यवस्था के दुश्मन ईरान की राष्ट्रीय प्रभुसत्ता के रक्षकों को अपने लिए रुकावट समझते और उनका मुक़ाबला करते हैं, यही वजह है कि वे क्षेत्र और क्षेत्र के बाहर के राष्ट्रों में इस्लामी गणतंत्र के बढ़ते प्रभाव के विरोधी हैं, क्योंकि यही ताक़त इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था की स्ट्रैटिजी का आधार है।"

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने देश की रक्षा क्षमता के साम्राज्यवादी शक्तियों की ओर से विरोध की भी इसी दृष्टि से समीक्षा करते हुए बल दिया कि इस विरोध से निपटने का रास्ता यह है कि साम्राज्यवादी शक्तियों की इच्छाओं के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों पर भरोसा करें।

उन्होंने देश की सुरक्षा को सशस्त्र बल की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी बताते हुए बल दिया कि वैज्ञानिक, औद्योगिक और आर्थिक सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति सुरक्षा पर निर्भर होती है।

सशस्त्र बल के मुख्य कमान्डर ने सभी लोगों और ख़ास तौर पर युवा  वर्ग को मौजूद सुरक्षा, सम्मान, शांति व गौरव की क़द्र करने की अनुशंसा की जो इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था की देन है। उन्होंने कहा कि एक दौर ऐसा था कि अपने उज्जवल इतिहास वाला प्रिय ईरान अमरीकी, ज़ायोनी और ब्रितानी सलाहकारों के इशारे पर था और उसका पिट्ठू शासकों की वजह से अपमान होता था, लेकिन इस्लाम ने इस हालत से मुक्ति दिलायी और इस्लामी गणतंत्र ने ईरान को प्रिय व शक्तिशाली बनाया। (MAQ/N)