जेसीपीओए, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की उपियोगिता की परीक्षा हैः शमख़ानी
ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शमख़ानी ने कहा कि जेसीपीओए की सफलता या विफलता, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की उपियोगिता के स्तर की परीक्षा है।
इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शमख़ानी ने तेहरान में एक कार्यक्रम में जेसीपीओए के विषय के बारे में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के हालिया बयान की ओर संकेत करते हुए कहा कि यदि अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प, अपने पहले वाली सरकारों और उसके वचनों को नहीं मानते तो निश्चित रूप से कोई भी देश अमरीका से वार्ता और सहमति के लिए तैयार नहीं होगा क्योंकि यह संभावना मौजूद है कि बाद वाली सरकार वर्तमान सरकार के वचनों और उसके वादों पर अमल न करे।
ज्ञात रहे कि 14 जुलाई 2015 को सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों और जर्मनी के साथ ईरान का परमाणु समझौता हुआ था और 16 जनवरी 2016 से इस समझौते का क्रियान्वयन शुरू हुआ। बाद में सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करके परमाणु समझौते को अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का दर्जा दिया। अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प शुरू ही से परमाणु समझौते को त्रासदी बताते आ रहे हैं और उन्होंने कहा था कि वह इस समझौते को ख़त्म कर देंगे।
ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव ने इस्लामी व्यवस्था को नुक़सान पहुंचाने के दुश्मनों के निरंतर प्रयासों की ओर संकेत करते हुए कहा कि इस मार्ग के लिए दुश्मनों ने राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक सहित विभिन्न झूठे प्रोपेगैंडों का साहारा लिया। (AK)