क्या इस्राईल ईरान पर परमाणु हमला कर सकता है?
लंदन में ईरानी राजदूत ने कहा कि ईरान की विदेश नीति उचित स्थिति में है, वह वर्चस्ववाद को नकारने के प्रति कटिबद्ध है और साथ ही दूसरे विशेषकर पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को बेहतर बनाये जाने को अपनी कार्यसूचि में शामिल कर रखा है।
लंदन में ईरानी राजदूत हमीद बईदी नेजाद ने पश्चिम और पूरब के वर्चस्ववाद को नकारने पर आधारित ईरान की विदेश नीति के सिद्धांतों की ओर संकेत करते हुए कहा कि तेहरान जायोनी शासन के अलावा समस्त देशों से परस्पर सम्मान के आधार पर मित्रतापूर्ण संबंधों का इच्छुक है।
उन्होंने शुक्रवार को अपने इंस्टाग्राम पेज पर लिखा कि ईरानी सरकार का मानना है कि कम से कम ख़र्च में अपनी विदेश नीति को आगे बढ़ाये और परस्पर सम्मान के आधार पर विश्व के विभिन्न देशों के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाये।
लंदन में ईरानी राजदूत ने कहा कि ईरान की विदेश नीति उचित स्थिति में है, वह वर्चस्ववाद को नकारने के प्रति कटिबद्ध है और साथ ही दूसरे विशेषकर पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को बेहतर बनाये जाने को अपनी कार्यसूचि में शामिल कर रखा है।
हमीद बईदी नेजाद ने ईरान पर हमला करने हेतु बिन नेतेनयाहू की धमकियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि उन्होंने आंतरिक दबाव से बचने के लिए ईरान पर हमला करने की बात की।
उन्होंने कहा कि जायोनी शासन की समस्या फिलिस्तीन है कि उसने फिलिस्तीनी भूमियों का अतिग्रहण कर रखा है और वह फिलिस्तीनी जनता की हत्या करता है।
विदेशमंत्री जवाद ज़रीफ़ ने भी बुधवार को अपने ट्वीटर एकाउंट पर जायोनी शासन के प्रधानमंत्री के बयान के उल्लेख के साथ लिखा था कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं है और उसे उस युद्धोन्मादी की ओर से परमाणु हमले की धमकी दी जाती है जो परमाणु हथियारों से सम्पन्न है और यह घोर निर्लज्जता की बात है।
ज्ञात रहे कि नेतेनयाहू ने कहा था कि इस्राईल की सेना परमाणु हथियारों से पूरी शक्ति के साथ ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमला करेगी।
ईरानी अधिकारियों ने बारमबार बल देकर कहा है कि अगर जायोनी शासन ने कोई ग़लती की तो तेलअवीव सहित समस्त जायोनी क्षेत्रों को मिट्टी के ढ़ेर में परिवर्तित कर देंगे।
जानकार हल्कों का मानना है कि इस्राईली अधिकारियों को बहुत अच्छी तरह ज्ञात है कि ईरान सारिया और ग़ज़्ज़ा पट्टी नहीं है और अगर इस्राईल ईरान पर हमले का साहस रखता तो बहुत पहले हमला कर चुका होता परंतु आम जनमत का ध्यान वास्तविकता से हटाने के लिए वह इस प्रकार की अर्थहीन धमकियां देता रहता है।
यही नहीं जानकार हल्कों का मानना है कि इस्राईल ही नहीं बल्कि उसके मूल समर्थक अमेरिका के अंदर भी ईरान पर हमला करने का साहस नहीं है क्योंकि वह हमले के अंजाम को बहुत अच्छी तरह जानता है और अगर उसे अंजाम की चिंता न होती तो बहुत पहले ईरान पर हमला कर चुका होता। MM