तेल की अंतरराष्ट्रीय मंडी के अस्थिर होने के कारण क्या हैं?
तेल की मांग और उसकी आपूर्ति की स्थिति संतोषजनक नहीं है इस बात के दृष्टिगत ईरान और रूस के मध्य सहकारिता को विशेष महत्व प्राप्त है।
ईरान के पेट्रोलियम मंत्री ने मास्को में रूस के ऊर्जा मंत्री से ऊर्जा के संबंध में सहकारिता और अंतरराष्ट्रीय तेल की मंडी के बारे में विचारों का आदान- प्रदान किया है।
ईरान के पेट्रोलियमंत्री बीजन नामदार ज़ंगने ने मास्को में रूस के ऊर्जा मंत्री एलेक्ज़न्डर नोवाक से ऐसी स्थिति में भेंटवार्ता की है जब अमेरिकी नीतियों के कारण अंतरराष्ट्रीय तेल की मंडी अस्थिर है।
ईरान और रूस ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व के दो महत्वपूर्ण देश हैं और विश्व में ऊर्जा के संबंध में दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऊर्जा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय मंडी की हालत के दृष्टिगत तेहरान और मास्को के मध्य सहकारिता पहले से अधिक ज़रूरी हो गयी है।
अमेरिका अपनी ऊर्जा नीति के परिप्रेक्ष्य में ईरान और वेनेज़ोएला सहित तेल उत्पादक देशों पर सदैव प्रतिबंध लगाता रहता है और अमेरिका ने रूस को भी अपने प्रतिबंधों का लक्ष्य बना रखा है।
तेल की मांग और उसकी आपूर्ति की स्थिति संतोषजनक नहीं है इस बात के दृष्टिगत ईरान और रूस के मध्य सहकारिता को विशेष महत्व प्राप्त है।
रूस के ऊर्जा मंत्री ने ईरान के पेट्रोलियम मंत्री से मास्को में भेंटवार्ता के बाद कहा कि कार्यक्रम के अनुसार दोनों देशों के संबंधों को विस्तृत होना चाहिये और सहकारिता को विस्तृत करने के लिए दोनों देशों के नेताओं की नीतियों को लागू किया जाना चाहिये।
ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बीजन नामदार ज़ंगने ने भी कहा कि नोवाक के साथ भेंट में इस बात पर सहमति बनी है कि तेल उत्पादक देशों के रूप में ईरान और रूस के मध्य द्विपक्षीय सहकारिता को मज़बूत किया जाना चाहिये।
तेल निर्यातक देश ओपेक के सदस्य देश के रूप में ईरान और ओपेक से बाहर रूस की भूमिका अंतरराष्ट्रीय तेल की मंडी में महत्वपूर्ण है।
दोनों देशों के मध्य होने वाली सहकारिता ओपेक में तेल के उत्पादन में कमी का कारण बनी ताकि तेल की कीमत को स्थिर रखा जा सके और तेल की मंडी को संकटमयी स्थिति बचाया जा जाये।
बहरहाल ईरान और रूस इस समय दो विश्वस्त और भरोसोमंद भागीदार के रूप में एक दूसरे से सहकारिता कर रहे हैं और यह सहकारिता न केवल दोनों देशों बल्कि क्षेत्र के भी हित में है। MM