ईरानी तेल टैंकर के कर्मी दल के चार सदस्य छोड़े गए।
(last modified Sat, 13 Jul 2019 08:25:15 GMT )
Jul १३, २०१९ १३:५५ Asia/Kolkata
  • ईरान का ग्रेस-1 सुपर टैंकर 4 जुलाई 2019 को जिब्राल्टर क्षेत्र में (एएफ़पी के सौजन्य से)
    ईरान का ग्रेस-1 सुपर टैंकर 4 जुलाई 2019 को जिब्राल्टर क्षेत्र में (एएफ़पी के सौजन्य से)

जिब्राल्टर स्ट्रेट में रोके गए ईरानी तेल टैंकर जहाज़ के कर्मी दल के सदस्यों को छोड़ दिया गया है जबकि जहाज़ को अभी भी रोके रखा गया है।

जिब्राल्टर पुलिस ने शुक्रवार को एलान किया कि ईरान के सुपरटैंकर के चारों कर्मीदल को रिहा कर दिया गया है।

शुक्रवार को जिब्राल्टर पुलिस के बयान के अनुसार, 4 रिहा हुए कर्मी दल में जहाज़ के कैप्टन भी हैं, जिन्हें ज़मानत पर छोड़ा गया है क्योंकि तेल के टैंकर के बारे में जांच जारी है।

ग़ौरतलब है कि 4 जुलाई को ब्रिटिश नौसेना द्वारा जबलुत तारिक़ या जिब्राल्टर स्ट्रेट में ईरानी तेल टैंकर को ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से रोक लिया गया था।

ब्रिटेन के इस ग़ैर क़ानूनी क़दम के बाद, तेहरान में इस देश के राजदूत को विदेश मंत्रालय में उसी दिन तलब किया गया था जिसमें ब्रिटेन के इस क़दम को ग़ैर क़ानूनी क़रार देते हुए तेल टैंकर को तुंरत छोड़ने की मांग की गयी थी।

विदेश मंत्रालय में तलब हुए ब्रितानी राजदूत को इस तेल टैंकर से संबंधित दस्तावेज़ दिए गए और उनसे ताकीद की गयी कि इस्लामी गणतंत्र इस जहाज़ को रिहा कराने के लिए अपने सभी क़ानूनी व राजनैतिक असर का इस्तेमाल करेगा।

ब्रिटेन ने दावा किया था कि उसने सीरिया के ख़िलाफ़ योरोपीय संघ की पाबंदियों के उल्लंघन को रोकने के लिए यह जहाज़ रोका था, जबकि स्पेन की सरकार ने, जिसका ब्रिटेन के साथ जिब्राल्टर स्ट्रेट के जलक्षेत्र की संप्रभुता को लेकर विवाद है, एक बयान में कहा था कि ब्रिटेन ने यह क़दम अमरीका के इशारे पर उठाया है।

अमरीका ने दावा किया कि इस तेल टैंकर में सीरिया के लिए तेल लदा हुआ था।

अमरीका और ज़ायोनी शासन ने ब्रिटेन की इस समुद्री डकैती का समर्थन किया।(MAQ/N)