ब्रिटेन को ईरान के सामने झुकना ही पड़ाः लारीजानी
संसद सभापति अली लारीजानी ने कहा है कि अंततः ब्रिटेन को ईरान के सामने झुकना ही पड़ा।
अली लारीजानी ने यह बात ईरान के आयल टैंकर ग्रेस-1 के स्वतंत्र होने पर कही। उन्होंने शनिवार को संसद की खुली कार्यवाही में कहा कि ब्रिटेन को अब यह बात समझ में आ गई है कि ईरान की वर्तमान परिस्थितियां, विगत की भांति नहीं हैं। यही कारण है कि वे ईरान के तेल टैंकर को छोड़ने पर विवश हुए हैं। ज्ञात रहे कि ब्रिटिश नौसेना ने 4 जुलाई को ग़ैर क़ानूनी कार्यवाही करते हुए ईरान के आयल टैंकर ग्रेस-1 को जिब्राल्टर स्ट्रेट में हिरासत में ले लिया था।
ईरान के संसद सभापति ने अपने संबोधन के दूसरे भाग में कहा कि एक ओर तो अमरीकी अधिकारी, ईरान के साथ वार्ता के लिए प्रस्ताव दे रहे हैं और दूसरी ओर उन्होंने विदेशमंत्री जवाद ज़रीफ़ पर प्रतिबंध लगा रखा है। उन्होंने कहा कि अमरीकी जनता पर इस प्रकार के शासक राज कर रहे हैं जो विरोधाभासी रुख़ अपनाए हुए हैं। संसद सभापति डा. अली लारीजानी ने लेबनान के 33 दिवसीय युद्ध की वर्षगांठ पर बधाई देते हुए कहा कि इस युद्ध में इस्लामी प्रतिरोध की विजय, ज़ायोनियों और अमरीकियों की लज्जाजनक पराजय थी जिसने उनके षडयंत्रों को विफल बना दिया।