विदेशमंत्री ने अमेरिका के एक पक्षीय प्रतिबंधों के मुकाबले पर बल दिया
विदेशमंत्री की यूरोपीय देशों की यात्रा से क्या संदेश जाता है?
ईरान के विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ फ़िनलैंड, स्वीडन और नोर्वे की यात्रा के बाद शुक्रवार को फ्रांस के राष्ट्रपति एमानोएल मैक्रां से मुलाक़ात करने वाले हैं।
विदेशमंत्री द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने और परमाणु समझौते और पश्चिम एशिया के बारे में तेहरान के दृष्टिकोणों को बयान करने के लिए चार यूरोपीय देशों की यात्रा पर गये हैं।
विदेशमंत्री सबसे पहले फिनलैंड गये जहां उन्होंने यूरोपीय संघ के अध्यक्ष से भेंटवार्ता की। इसी प्रकार विदेशमंत्री ने फिनलैंड के व्यापार व विकास मंत्री से हेलीन्सकी में भेंटवार्ता की और अमेरिका के एक पक्षीय प्रतिबंधों के प्रभावों के मुकाबले पर बल दिया।
साथ ही उन्होंने द्वपक्षीय संबंधों में वृद्धि किये जाने और इंस्टेक्स जैसी वित्तीय व्यवस्था से लाभ उठाये जाने पर दिया। फिनलैंड के व्यापार मंत्री ने भी यूरोपीय संघ का अध्यक्ष होने को ईरान के साथ व्यापार में वृद्धि के लिए सुनहरा मौक़ा बताया और कहा कि यूरोपीय संघ का अध्यक्ष होने के नाते तनावों को कम करने में फ़िनलैंड महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
फिनलैंड के बाद विदेशमंत्री स्वीडन और नार्वे की भी यात्रा पर गये और अंत में वह शुक्रवार को फ्रांस के राष्ट्रपति से मुलाक़ात करने वाले हैं।
ईरान के विदेशमंत्री की यात्रा के दो महत्वपूर्ण संदेश हैं। पहला यह कि ईरान की तार्किक व ठोस विदेश नीति पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। यूरोपीय संघ के वर्तमान अध्यक्ष देश फिनलैंड की यात्रा पर विदेशमंत्री का जाना इस बात का सूचक है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद यह संघ ईरान के साथ संबंधों में विस्तार के इच्छुक हैं।
परमाणु समझौते का एक पक्ष यूरोप है और आशा है कि अमेरिका द्वारा उत्पन्न किये जा रहे तनावों को कम करने में वह महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
परमाणु समझौते की सुरक्षा और उसे बाकी रखना इस बात में नीहित है कि यह संघ परमाणु समझौते में अपने वचनों का पालन करे। परमाणु समझौते से अमेरिका के निकल जाने के बाद यूरोपीय देशों को कड़ी परीक्षा का सामना है और वे परमाणु समझौते पर अमल करके यह दर्शा व सिद्ध कर सकते हैं कि वे अमेरिकी इच्छा के विपरीत परमाणु समझौते की रक्षा कर सकते हैं।
विदेशमंत्री की चार यूरोपीय देशों की यात्रा का दूसरा महत्वपूर्ण संदेश इन देशों को परमाणु समझौते के प्रति उनके वचनों को याद दिलाना है।
यूरोपीय संघ की ओर से परमाणु समझौते का एक महत्वपूर्ण वचन ईरान की आर्थिक ज़रूरतों की पूर्ति है। इस आधार पर यूरोपीय संघ ने ईरान के साथ वित्तीय लेन- देन के लिए जो इंस्टेक्स पेश किया है वह उसी वक्त अर्थपूर्ण होगा जब यूरोपीय संघ परमाणु समझौते में अपने वचनों पर अमल करेगा। MM