वियना में गुट 4+1 की बैठक और अपेक्षाएं
वियना में शुक्रवार को ईरान और जर्मनी, फ़्रांस, रूस, चीन और ब्रिटेन के उपविदेश मंत्रियों के स्तर पर परमाणु समझौते जेसीपीओए के संयुक्त आयोग की बैठक हुयी।
इस बैठक की ईरानी उपविदेश मंत्री सय्यद अब्बास इराक़ची और योरोपीय संघ के विदेश नीति आयोग की उपप्रमुख हेल्गा श्मिद ने सहाध्यक्षता की।
जैसा कि इस बैठक के ख़त्म होने पर ईरान के उपविदेश मंत्री ने कहा कि जेसीपीओए आयोग की बैठक में दोनों ओर से आलोचनाओं के बावजूद, दोनों पक्ष दो बिन्दुओं पर एकमत थे। एक यह कि इस बैठक में मौजूद सभी सदस्यों ने इस बात को माना कि जेसीपीओए में तनाव का कारण अमरीका है। दूसरा यह कि जेसीपीओ को लागू करने की ज़रूरत और इसे बचाने के उपायों को परिणामजनक बनाने की प्रक्रिया में तेज़ी लाने पर दोनों पक्ष सहमत थे।
इस्लामी गणतंत्र ईरान ने परमाणु समझौते से अमरीका के निकलने और इस समझौते में ईरान के हित को सुनिश्चित बनाने से संबंधित योरोप के प्रस्तावित उपायों की अयोग्यता साबित होने के एक साल बाद 8 मई 2019 को जेसीपीओए के अनुच्छेद 26 और 36 के तहत अपनी कुछ प्रतिबद्धताओं को कम करने का फ़ैसला लिया। योरोप ने, जिसने जेसीपीओए को बचाने के लिए अब तक किसी भी तरह की व्यवहारिक रूप से कोशिश नहीं की है, वियना बैठक के आयोजन से पहले जेसीपीओए के दायरे बाहर जाते हुए ईरान के मीज़ाईल कार्यक्रम को मुद्दा बनाया ताकि ईरान की ओर से योरोप की आलोचनाओं का जवाब न देना पड़े। ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एन्टोनियो गुटेरेस को एक ख़त में दावा किया कि ईरान के बैलिस्टिक मीज़ाईल के कुछ मॉडल सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव नंबर 2231 से समन्वित नहीं हैं।
ईरान के मीज़ाईल के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुकूल न होने का दावा ऐसी हालत में सामने आया है कि प्रस्ताव 2231 में ईरान से परमाणु वारहेड ले जाने लायक़ मीज़ाईल पर काम न करने के लिए कहा गया है।
जेसीपीओए से अमरीका के निकलने के बाद योरोप ने ईरान से 11 वादे किए और ईरान के आर्थिक हितों की गैरंटी के लिए इन्सटैक्स नामक वित्तीय तंत्र योरोप के वचन के पूरा होने की पृष्टिभूमि है जो अब तक व्यवहारिक नहीं हुयी है। सीधी सी बात है कि ईरान भी उस वक़्त तक अपनी प्रतिबद्धताओं को कम करता जाएगा जब तक उसके हित पूरे नहीं होते।
अनुभव दर्शाता है कि जेसीपीओए के बाक़ी बचे पक्षों की ओर से अपने वादों को पूरा करने के बजाए ईरान पर शर्त थोपने से मामले का हल नहीं होगा क्योंकि ईरान इस संबंध में बहुत लचक और धैर्य का परिचय दे चुका है।
अब देखना है कि वियना में शुक्रवार को हुए विचार विमर्श से जेसीपीओए को बचाने के लिए अंतिम अवसर से कितनी अपेक्षाएं पूरी होंगी। जैसा कि ईरान के उपविदेश मंत्री अब्बास इराक़ची इससे पहले कह चुके हैं कि जेसीपीओए के बचने की अभी भी उम्मीद है लेकिन यह बात इस बहुपक्षीय समझौते में योरोप के अपने वचनों को पूरा करने पर निर्भर है। (MAQ/T)