इस्राईल के वर्तमान और पूर्व अधिकारियों की सारी जानकारियां ईरान के पास हैं, देखना है हिट लिस्ट में ऊपर आता है किसका नाम?
ईरानी न्यूज़ एजेंसी तसनीम ने एक लेख प्रकाशित किया है जिसमें परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़्रीज़ादे की हत्या का भरपूर इंतेक़ाम लेने पर ज़ोर दिया गया है।
लेखक का कहना है कि मोहसिन फ़ख़्रीज़ादे देश के परमाणु और रक्षा विभाग के सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने देश की विशाल वैज्ञानिक और परमाणु परियोजनाओं में बड़ी प्रभावी भूमिका निभाई। ईरान का परमाणु कार्यक्रम पिछले 40 साल के दौरान सबसे ज़्यादा बहस का मुद्दा रहा है। पश्चिमी देश यह भ्रम फैलाते रहे हैं कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने के लिए आणविक गतिविधियां कर रहा है और इसी बहाने उन्होंने ईरान पर व्यापक रूप से प्रतिबंध लगा रखे हैं।
मोहसिन फ़ख़्रीज़ादे की हत्या से पहले भी कई वैज्ञानिकों की हत्या की गई और इन हत्याओं में इस्राईल की भूमिका साफ़ दिखाई देती है। मोहसिन फ़ख़्रीज़ादे की हत्या का मामला इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि पहली बार उनका नाम अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए की रिपोर्टों में लिया गया इसी तरह इस्राईली प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू ने एक प्रेस कान्फ़्रेन्स में कहा कि यह व्यक्ति ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ा बहुत प्रभावशाली वैज्ञानिक है।
इस्राईल बहुत समय से अपने विरोधी देशों के वैज्ञानिकों और राजनैतिक हस्तियों की हत्या करता आ रहा है मूशे दायान ने कहा था कि इस्राईल को कटखने कुत्ते की तरह होना चाहिए ताकि कोई उससे उलझने की कोशिश न करे।
इस्राईल के बारे में यह अनुभव भी रहा है कि अगर आपराधिक हरकतों पर उसे मुंह तोड़ जवाब न दिया जाए तो उसका दुस्साहस बढ़ जाता है। सीरिया के भीतर इस्राईली हमलों के जवाब में गोलान हाइट्स में इस्राईली ठिकानों पर मिसाइल हमला किया गया तो इस्राईल को ईरान का संदेश बहुत ठोस रूप में मिल गया था।
क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी की अमरीका ने हत्या की तो इराक़ में अमरीकी सैनिक छावनी एनुल असद पर ज़ोरदार मिसाइल हमला किया गया जो अमरीका के इतिहास में अभूतपूर्व था अलबत्ता ईरान ने इसे एक तमाचा कहा था और एलान किया था कि इंतेक़ाम अभी बाक़ी है।
इंतेक़ाम चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो इन महान शहीदों के जाने से पैदा होने वाला शून्य नहीं भर सकता मगर अनुभव कहता है कि अगर इस कटखने कुत्ते को सबक़ न सिखाया गया तो वह यूंही हमले करता रहेगा।
इस्राईल को जवाब देने के लिए ईरान के पास कई विकल्प हैं।
ईरान की मिसाइल तकनीक काफ़ी प्रगति कर चुकी है और कम से कम चार अवसरों पर साबित हो चुका है कि ईरान के ख़िलाफ़ की जाने वाली आपराधिक कार्यवाही का जवाब देने के लिए यह मिसाइल बहुत प्रभावी हैं। तीन साल पहले ईरान की संसद पर दाइश ने आतंकी हमला किया तो सीरिया के भीतर आतंकी सरग़नाओं के ठिकानों पर बहुत सटीक मिसाइल हमला किया गया था।
अहवाज़ में परेड के दौरान आतंकी हमले और आईआरजीसी की छावनी पर हमले के जवाब में भी ईरान ने सीरिया और इराक़ी कुर्दिस्तान के भीतर आतंकियों के ठिकानों को अपने मिसाइलों से ध्वस्त कर डाला था।
सबसे बड़ा हमला अमरीका की आपराधिक कार्यवाही के बाद एनुल असद छावनी पर किया गया था।
इस्राईली इलाक़े ईरान से 1100 किलोमीटर दूर हैं और ईरान ने 1990 के दशक में ही इस्राईल के किसी भी इलाक़े को निशाना बनाने में सक्षम शहाब-3 मिसाइल बना लिया था। इसकी रेंज 1200 किलोमीटर थी जबकि आज ईरान 2000 किलोमीटर की रेंज के अनेक प्रकार के मिसाइल बना रहा है जिनका निशाना बहुत सटीक है। देश के भीतर से ही इस्राईल के किसी भी इलाक़े को आसानी से इन मिसाइलों का निशाना बनाया जा सकता है। ईरान इसके लिए ख़ुर्रमशहर, सिज्जील, एमाद, क़द्र और हाज क़ासिम मिसाइलों में से किसी का भी इस्तेमाल कर सकता है।
ईरान के पास एक विकल्प यह भी है कि इस समय ईरान सीरिया में इस्राईल के इलाक़ों के बहुत क़रीब मौजूद है। सीरिया में आतंकियों को शिकस्त देने के बाद ईरान ने वहां अपने पैर काफ़ी मज़बूत कर लिए हैं।
लेबनान में हिज़्बुल्लाह आंदोलन ईरान का बहुत ताक़तवर हाथ बनकर उभरा है। ईरान ने हिज़्बुल्लाह को कई साल पहले ही बड़े सटीक मिसाइल दिए थे। हिज़्बुल्लाह इन मिसाइलों से इस्राईल के किसी भी इलाक़े को निशाना बना सकता है।
इन परिस्थितियों में इस्राईल की कोई भी सैनिक टुकड़ी और कोई भी अधिकारी सुरक्षित नहीं है ईरान जिसे चाहे निशाना बना सकता है।
ईरान के पास इस्राईल की मौजूदा और पूर्व अधिकारियों के बारे में जानकारियां पूरी हैं। अब अगर ईरान ने इस्राईल के भीतर अपने जासूसों की मदद ली तो कोई भी कार्यवाही आसानी से कर सकता है। यही कारण है कि इस्राईली अधिकारियों, प्रधानमंत्री नेतनयाहू, ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद के वर्तमान और पूर्व प्रमुखों, वरिष्ठ सैन्य कमांडरों को अच्छी तरह मालूम है कि ईरान की हिट लिस्ट पर उनका नाम है और ईरान जब चाहे उन्हें निशाना बना सकता है।
इसके अलावा ईरान के पास ड्रोन विमानों की ताक़त भी मौजूद है। अब देखना यह है कि ईरान ख़ुद इंतेक़ाम लेता है या ईरान की कोई घटक फ़ोर्स यह काम करती है?
इतना तो तय है कि ईरान अपना इंतेक़ाम ज़रूर लेगा।
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