ईरान और रूस ने मिलकर दिया दुनिया को अहम संदेश....वीडियो रिपोर्ट
यह हमारे देश का जलक्षेत्र है। यह वह जगह है जहाँ दोस्ताना तरीक़े से दाख़िल होने के भी लिए समुद्री सुरंग से जलक्षेत्र की रक्षा करने वाली इकाई की इजाज़त लेनी पड़ती है। यह रूस का जहाज़ है जो इजाज़त के साथ सैन्य अभ्यास के जलक्षेत्र में पहुंचा है।
रूस का जहाज़ उरूमिये में सैन्य अभ्यास की ओर बढ़ रहा है। आज ईरान-रूस नौसैनिक अभ्यास शुरू होने से पहले दोनों देशों के नौसैनिक कमांडरों की बैठक हुयी। सत्रह हज़ार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल पर 10 डिग्री ऐक्सिस पर उत्तरी हिन्द महासागर तक यह अभ्यास फैला है।
यह अभ्यास पड़ोसी और क्षेत्रीय देशों को शांति व दोस्ती का संदेश देने के लिए है। और यह बताने के लिए है इस्लामी गणतंत्र ईरान नौसैनिक क्षेत्र में उपकरणों व टेक्नॉलोजी की नज़र से ऐसी जगह पर पहुंच गया है कि लगातार दूसरे साल नौसैनिक ताक़तों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास की मेज़बानी कर रहा है।
इस संयुक्त नौसैनिक समुद्री अभ्यास का नारा, सुरक्षित समुद्री व्यापार के लिए सामूहिक समुद्री सहयोग है। रूस की ओर से इस नौसैनिक अभ्यास पर बधाई पेश करता हूँ।नौसेना के साथ साथ आईआरजीसी की नौसैनिक इकाई ने भी ईरान-रूस नौसैनिक अभ्यास में भाग लिया। इस अभ्यास का लक्ष्य अपनी क्षमता पर भरोसा करते हुए समुद्री क्षेत्र की रक्षा करना है।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापारिक सुरक्षा और समुद्री डकैती व आतंकवाद से निपटना, ईरान-रूस के इस नौसैनिक अभ्यास के अहम लक्ष्य हैं। दुनिया के सैन्य व आर्थिक हल्क़ों की नज़र ईरान-रूस संयुक्त सैन्य अभ्यास पर लगी हुयी है क्योंकि यह अभ्यास, दुनिया के पाँच बहुत ही अहम स्ट्रेट में से 3 स्ट्रेट बाबुल मंदब, मलका और हुर्मुज़ में सुरक्षा क़ायम करने और उसे बनाए रखने के इरादे को ज़ाहिर करता है। ये इलाक़े तेल और ऊर्जा के लिए भी और नाना प्रकार की वस्तुओं के लेन-देन के लिए भी दुनिया में व्यापार की नज़र से सुनहरे त्रिकोण के रूप में मशहूर हैं।
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