पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी हमदर्दी को सर्वोच्च नेकी क्यों मानते हैं?
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पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी हमदर्दी को सर्वोच्च नेकी क्यों मानते हैं?
पार्सटुडे- अनेक समाजों में नेकी को केवल आर्थिक सहायता या बाहरी दिखावे तक सीमित कर दिया जाता है लेकिन पैग़ंबरे इस्लाम के उत्तराधिकारी, इमाम अली अलैहिस्सलाम की शिक्षाएँ हमारे सामने एक नया द्वार व आयाम खोलती हैं एक ऐसा द्वार जो नेकी को बाहरी सतह से उठाकर मन की गहराइयों तक ले जाता है।
एहसान शब्द जाना पहचाना और परिचित है लेकिन इमाम अली अलैहिस्सलाम के दृष्टिकोण में इसका अर्थ इससे कहीं व्यापक है। पार्सटुडे के अनुसार वे फ़रमाते हैं: सबसे उत्तम एहसान अपने भाइयों के साथ हमदर्दी और सहायता करना है। यह कथन एहसान को एक बाहरी क्रिया से बदलकर एक आंतरिक और मानवीय अनुभव बना देता है ऐसा अनुभव जिसमें दिल एक-दूसरे के करीब आते हैं और जीवन का बोझ हल्का हो जाता है।
यह दृष्टि देखने में सरल लग सकती है, लेकिन वास्तव में यह सह-अस्तित्व और सामाजिक जिम्मेदारी का गहरा दर्शन समेटे हुए है। एक ऐसी दुनिया में जहाँ व्यक्तिवाद कभी-कभी लोगों को एक-दूसरे से दूर कर देता है, वहाँ हमदर्दी और परस्पर सहायता दिलों के बीच पुल बन जाती है, पुल जो स्नेह, न्याय और परस्पर समझ से बना है।
इमाम अली अलैहिस्सलाम हमें एक रोज़मर्रा के अभ्यास के लिए बुलाते हैं दूसरों की ज़रूरतों को अपनी ज़रूरतों की तरह देखना और उनकी सहायता उसी गंभीरता से करना, जिस गंभीरता से हम अपने लिए करते हैं। यदि यह दृष्टि हमारे छोटे-छोटे दैनिक व्यवहारों में उतर आए, साधारण बातचीत से लेकर बड़े सामाजिक निर्णयों तक तो हम एक ऐसे समाज का निर्माण करेंगे जिसमें मानवीय गरिमा एक नारा नहीं, बल्कि एक जीती-जागती और स्पर्शनीय सच्चाई होगी। mm