पूरा न्यूयार्क लब्बैक या हुसैन के नारों से गूंज उठा+ तीस्वीरें
पार्सटुडे- अमेरिकी मुसलमानों ने न्यूयॉर्क शहर में "हुसैन डे" आयोजित करके हज़रत इमाम हुसैन और उनके निष्ठावान और वफ़ादार साथियों की शहादतों को याद किया और उनकी शहादतों को श्रद्धांजलि पेश की।
मुहर्रम के पहले रविवार को अमेरिका में रहने वाले मुसलमानों ने "हुसैन डे" का एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया। पार्सटुडे के मुताबिक, इस कार्यक्रम में न्यूयॉर्क के "मैनहटन" इलाके में स्थित ऊंचे ऊंचे टॉवर्स लब्बैक या हुसैन और या हुसैन के नारों से गूंजने लगे।
इस साल, अमेरिका में ईरान, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, भारत और बांग्लादेश सहित विभिन्न देशों के मुसलमान शहीदे कर्बला हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को श्रद्धांजलि पेश करते हुए हुसैन डे मनाने के लिए न्यूयार्क के मैनहन शहर की सड़कों पर उतरे और उन्होने हज़रत इमाम हुसैन और उनके वफ़ादार साथियों को भावभीन श्रद्धांजलि पेश की।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) के परिजन और प्राणप्रिय नाती हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का शोक मनाने वाले अज़ादार और श्रद्धालु मुसलमानों ने, न्यूयॉर्क के मैनहटन की सड़कों पर दोपहर की नमाज़ अदा करने के बाद विभिन्न अन्जुमनों की शक्ल में दुनिया की अलग अलग भाषाओं में कर्बला के शहीदों और हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के वफ़ादार साथियों का शोक मनाया।
भीषण गर्मी और गर्म मौसम के बावजूद अधिकांश परिवार अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ मैनहटन के इस कार्यक्रम में शामिल हुए ताकि पश्चिम के भौतिकवादी माहौल में डूबे हुए लोगों को हज़रत इमाम हुसैन और उनके वफ़ादार साथियों के नज़रिए और उनकी शिक्षाओं को क़रीब से अवगत कराया जाए।
इस कार्यक्रम में शामिल लोग मुहर्रम महीने की प्राचीन परंपराओं का पालन करते हुए मैनहटन की सड़कों से गुज़रने वालों को जूस, शरबत, ठंडे पानी की बोतल, खाने, स्नैक्स आदि भी बांट रहे थे।
कुछ हुसैनी अज़ादार आने जाने वालों गुलाब के फूल देकर कर्बला की हृदय विदारक घटना और इमाम हुसैन के आंदोलन के मक़सद और लक्ष्य के बारे में राहगीरों और अन्य धर्मों के अनुयायियों को बता रहे थे।
"हुसैन-डे" कार्यक्रम में भाग लेने के अलावा, न्यूयॉर्क में मुसलमान इस शहर की विभिन्न मस्जिदों में भी जाते हैं और शोक तथा अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करके हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की शहादत और हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन को याद करते हैं।
ईरान में भी मुसलमान लोग हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके निष्ठावान और वफ़ादार साथियों की याद में पवित्र स्थानों, तकिये, मस्जिदों और यहां तक कि अपने घरों के दरवाजों पर काले रंग की पट्टियां और कपड़े लगाकर मोहर्रम के आने की सूचना देते हैं और शहीदे कर्बला की याद में शोक मनाते हैं।
पिछले वर्षों की तरह बल्कि उससे भी भव्य तरीक़े से मुहर्रम के कार्यक्रम ईरान में आयोजित किए जा रहे हैं।
कर्बला की हृदय विदारक और दर्दनाक घटना और इमाम हुसैन (अ) और उनके वफ़ादार साथियों की शहादत के सदियों बीतने के बावजूद, न केवल इस घटना का महत्व और इसकी पोज़ीशन में कोई कमी हुई है, बल्कि जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, आशूरा का संदेश पूरी दुनिया में फैलता जा रहा है और शोक कार्यक्रम अधिक जुनून और समझदारी के साथ आयोजित किए जा रहे हैं।
पैग़म्बरे इस्लाम के प्राणप्रिय नाती हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों को 10 मुहर्रम सन 61 हिजरी को कर्बला में तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया गया था।
पार्सटुडी की इस रिपोर्ट में आप कार्यक्रम को तस्वीरों की ज़बानी देख सकते हैं:
कीवर्ड्ज़: इमाम हुसैन कौन हैं? कर्बला की घटना, इमाम हुसैन (अ) का आंदोलन, इमाम हुसैन (अ) का शोक, तासूआ और आशूरा के दिन, अमेरिका में मुसलमान (AK)
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