न्यूज़वीक का दावा, ईरान के बढ़ते हुए क़दम रोको नहीं तो...
(last modified Sat, 01 Jun 2024 14:01:43 GMT )
Jun ०१, २०२४ १९:३१ Asia/Kolkata
  • अमेरिकी मैगज़ीन न्यूज़वीक का दावा: अफ़्रीक़ी देशों को मज़बूत करना चाहता है ईरान, उसका रास्ता रोको!
    अमेरिकी मैगज़ीन न्यूज़वीक का दावा: अफ़्रीक़ी देशों को मज़बूत करना चाहता है ईरान, उसका रास्ता रोको!

पार्सटुडे- पेंटागन की नीतियों पर निर्भर अन्य मैगज़ीन की तरह, न्यूज़वीक ने भी अफ़्रीक़ी तट पर संकट के लिए ईरान को दोषी ठहराया है।

पार्सटुडे के अनुसार, अमेरिकी मैगज़ीन न्यूज़वीक ने इस्राईली लेखकों द्वारा लिखे गए एक लेख में कहा: जबकि अमेरिका और इस्राईल, लेबनान से यमन तक ईरान से जुड़ी स्थानीय शक्तियों के ख़तरों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, तेहरान चुपचाप एक और स्थानीय शक्ति बनाने में व्यस्त है जो जल्द ही अमेरिकी हितों के लिए गंभीर ख़तरा पैदा कर देगी।

इस मैगज़ीन के अनुसार, ये नई शक्तियां अफ़्रीक़ी तट के रणनीतिक इलाक़े में मौजूद हैं और ईरान इन देशों को आर्थिक और सैन्य रूप से मज़बूत करने के लिए वर्चस्ववादी पश्चिम की कमजोरी का इस्तेमाल कर रहा है।

मैगज़ीन अमेरिकी अधिकारियों और इस्राईली शासन को सलाह देती है कि काफ़ी देर होने से पहले इन समुदायों और क्षेत्रों के सशक्तिकरण का मुक़ाबला करने के लिए साहसिक कदम उठाएं।

आंतरिक शक्ति की कमी की वजह से तटवर्टी इलाक़े पश्चिमी साम्राज्यवाद और अमेरिकी हस्तक्षेपों से काफ़ी नुक़सान उठा चुके हैं इन्हीं सब वजहों से 2020 के बाद से कई अस्थिरताएं और समस्याएं पैदा हुई हैं।

माली, बुर्किना फ़ासो, गिनी, नाइजर, गैबॉन, चाड और सूडान सभी ने साम्राज्यवाद की राजनीतिक-आर्थिक विरासत से प्रभावित होकर तख्तापलट देखा या सैन्य सरकारों का सामना किया है।

इस विरासत और पश्चिमी हस्तक्षेप ने चुनौतियों की परवाह किए बिना, इस्लामी नामों और पहचान का दुरुपयोग करने वाले डुप्लीकेट गुप्स को आगे बढ़ने की खुली छूट दे दी।

मिसाल के तौर पर इससे पहले, इस्राईली शासन ने पश्चिमी संस्थानों के माध्यम से सूडान में हस्तक्षेप किया और इस देश का विभाजन कर दिया और पूरे देश को तहस नहस करके रख दिया।

दिलचस्प बात यह है कि इस मैगज़ीन ने, पेंटागन की नीतियों पर निर्भर दूसरी मैगज़ीनों की तरह, अफ्रीका के इस हिस्से में संकट के लिए ईरान को दोषी ठहराया है।

इस मैगज़ीन के उक्त लेख के अनुसार, सूडान, सूडान की सत्तासीन परिषद के वर्तमान प्रमुख अब्दुल फ़त्ताह अल-बुरहान के नेतृत्व में, अमेरिकी समर्थन के वादे के बदले अक्टूबर 2020 में इस्राईल के साथ अब्राहम समझौते में शामिल हो गया।

हालांकि, 2021 में अल-बुरहान द्वारा सूडान की गवर्निंग काउंसिल को भंग करने के बाद, अमेरिका ने इस्राईली शासन पर खरतूम के साथ संबंध बेहतर न करने का दबाव डाला और फिर, अजीब ग़रीब ढंग से, 2023 में सूडान गृहयुद्ध की चपेट में आ गया।

न्यूज़वीक के आर्टिकल लिखने वाले स्तंभकार के दावे के अनुसार, सूडान के साथ पश्चिम के अतीत के बर्ताव की वजह से अल-बुरहान के पास सुरक्षा सहायता और आवश्यक सहायता के लिए तेहरान की ओर रुख़ करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।

न्यूज़वीक के लेखक ने अपने लेख में लिखा कि ईरान, यूरेनियम उत्पादन के क्षेत्र में नाइजर की शक्ति को मजबूत करना चाहता है। यहां पर लेखक का यह भी दावा है कि यह काम ईरान के परमाणु कार्यक्रम की सेवा कर सकता है।

न्यूज़वीक के लेख में एक और खतरा बताया गया है और वह ईरान द्वारा माली, बुर्किना फ़ासो और अन्य तटवर्ती देशों के साथ अपने संबंधों को गहरा करने के मिलते जुलते प्रयास हैं। यह वह चीज़ है जिसे वर्चस्ववादी पश्चिम सहन नहीं कर पा रहे हैं।

इस अमेरिकी मैगज़ीन के लेख में एक और ख़तरा चाड और मोरीतानिया की आर्थिक स्वतंत्रता के लिए ईरान की सहायता का भी ज़िक्र किया गया है।

इससे भी दिलचस्प बात यह है कि न्यूज़वीक के लेखक ने न केवल इस्राईली शासन का नाम लिया, बल्कि इस शासन के साथ मिस्र और सऊदी अरब का भी नाम लिया और कहा कि ईरान इन तीनों ही के लिए ख़तरा है।

डॉक्टर सैयद इब्राहीम रईसी के कार्यकाल से ही ईरान ने सऊदी अरब और मिस्र के साथ संबंधों के विकास और विस्तार तथा मज़बूती को गंभीरता से अपने एजेंडे में शामिल कर रखा है।

इस मैगज़ीन का जिसने कभी-कभी पेंटागन के साथ अपने संबंधों ख़ुलासा भी किया है, लेख, इसके बदले अमेरिका और इस्राईल सहित उसके सहयोगियों से ईरान, रूस और चीन जैसे अन्य ग़ैर-पश्चिमी देशों के साथ अफ़्रीक़ी तट के संबंधों को कमजोर करने के तरीक़े तलाश करने के लिए कहता है खोजने के लिए कहता है और लोकतंत्र तथा मानवाधिकार जैसे मुद्दों के ज़रिए इन देशों पर दबाव बढ़ाने को कहता है।

न्यूज़वीक के आर्टिकल के लेखक इस्राईली विदेशमंत्रालय के पूर्व महानिदेशक और मिस्गाव (Misgav) राष्ट्रीय सुरक्षा संस्थान के वरिष्ठ सदस्य रोनेन लेवी (Ronen Levi) और मिस्गाव संस्थान के निदेशक आशर फ़्रेडमैन (Asher Fredman) हैं।

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