पोप की बहरैन यात्रा से पहले जेलों में क़ैद धर्मगुरुओं ने दिया ईसाई धर्मगुरु को ख़ास संदेश
(last modified Wed, 26 Oct 2022 13:25:46 GMT )
Oct २६, २०२२ १८:५५ Asia/Kolkata
  • पोप की बहरैन यात्रा से पहले जेलों में क़ैद धर्मगुरुओं ने दिया ईसाई धर्मगुरु को ख़ास संदेश

बहरैन की जेलों में क़ैद धर्मगुरुओं और विद्वानों ने पोप फ्रांसिस को संबोधित करते हुए अपने बयान में कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि वह बहरैन की अपनी आगामी यात्रा के दौरान सच बोलेंगे और अपने विवेक की आवाज़ सुनते हुए उसका जवाब देंगे।

समाचार एजेंसी इर्ना की रिपोर्ट के मुताबिक़, बहरैन के आले ख़लीफ़ा शासन की जेलों में क़ैद इस देश के धर्मगुरुओं और विद्वानों ने "पूर्व-पश्चिम संवाद" सम्मेलन में भाग लेने 3 से 6 नवंबर को बहरैन की यात्रा पर पहुंच रहे ईसाई धर्म के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस को संबोधित करते हुए अपने लिखित बयान में लिखा है कि आप उस देश में क़दम रखेंगे जहां इस देश के लोगों के लिए सहिष्णुता और एक साथ जीवन का नारा लगाया जाता है और इसमें न्याय और परोपकार का वर्णन किया जाता है। लेकिन अब इस देश में अन्याय, उत्पीड़न और अत्याचार ने अपने पैर पसार लिए हैं। शेख़ अब्दुल जलील अल-मेक़दाद, शेख़ सईद अल-नूरी, शेख़े मुहम्मद हबीब अल-मेक़दाद और शेख़ अली सलमान यह वे धर्मगुरु और विद्वान हैं जो आले ख़लीफ़ी की जेलों में राजनीतिक क़ैदी हैं। इन्हीं की ओर से पोप फ्रांसिस के नाम पर ख़ास संदेश के साथ एक बयान प्रकाशित किया गया है।

आले ख़लीफ़ा की जेलों में क़ैद इन चारों धर्मगुरुओँ और विद्वानों के संयुक्त बयान में आया है कि हमारे देश इस समय मृतकों, शोक में डूबी हुई माताओं, घायलों, क़ैदियों, वांछित लोगों और देश से निर्वासित लोगों और अपने देश में धैर्यपूर्वक रहने वाले परिवारों पर आधारित है। इस देश के लोगों पर होने वाले अत्याचारों के बारे में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी आले ख़लीफ़ा शासन के ज़ुल्मों के बारे में लिखा है और अपनी फ़ाइलों में दर्ज किया है। अपने बयान के अंत में, इन चार राजनीतिक क़ैदियों ने आशा व्यक्त की कि पोप फ्रांसिस बहरैन की अपनी यात्रा के दौरान सच बोलेंगे और अपने ज़मीर की आवाज़ सुनते हुए इस देश के उन लोगों की आवाज़ को सुनेंगे जो आले ख़लीफ़ा शासन के अत्याचार, उत्पीड़न और दमन का शिकार हैं। उल्लेखनीय है कि 14 फ़रवरी वर्ष 2011 से इस देश की जनता आले ख़लीफ़ा शासन के ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रही है। बहरैन की स्वतंत्रता प्रेमी जनता न्याय की स्थापना की मांग के साथ साथ भेदभाव की समाप्ति और लोकतांत्रिक व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। (RZ)

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