बहरैन "इस्राईल मुर्दाबाद" के नारों से गूंजा
(last modified Sat, 29 Jul 2023 11:12:28 GMT )
Jul २९, २०२३ १६:४२ Asia/Kolkata

कल बहरैन में भी आशूर अर्थात दसवीं मोहर्रम मनायी गयी।

बहरैन की तानाशाही सरकार ने पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी मोहर्रम के कार्यक्रमों में काफी अधिक सीमिततायें उत्पन्न कर दी थीं परतुं इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चाहने वालों ने इस वर्ष भी अज़ादारी मनाई और इस्राईल के साथ संबंधों के सामान्य बनाये जाने पर रोष प्रकट करते हुए "इस्राईल मुर्दाबाद" के नारे लगाये।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का शोक मनाने वालों ने इसी प्रकार "हैहात मिन्ना ज़िल्लत" अर्थात हम अपमान व ज़िल्लत स्वीकार नहीं करेंगे, का नारा भी लगाया।

बहरैन की तानाशाही सरकार ने सितंबर 2020 में अमेरिका में जायोनी शासन के साथ संबंधों के सामान्य बनाये जाने पर हस्ताक्षर किया था। बहरैन के लोगों का मानना है कि आले खलीफा सरकार ने जायोनी शासन के साथ संबंधों को सामान्य बनाकर अपमान को स्वीकार किया है इसलिए उन्होंने इस साल भी आशूर के जुलूसों में इस्राईल मुर्दाबाद और हैहात मिन्ना ज़िल्लत के नारे लगाये। इसके अलावा बहरैन के लोग हमेशा फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों के समर्थक रहे हैं।

बहरैन के लोगों ने पिछले तीन वर्षों के दौरान बारमबार जायोनी शासन के साथ संबंधों के सामान्य किये जाने के प्रति अपने विरोध की घोषणा की है। यद्यपि बहरैन की तानाशाही सरकार ने इस देशों के लोगों की भावनाओं व विरोधों की अनदेखी करके इस्राईल से संबंधों को सामान्य बनाया है परंतु प्रतीत यह हो रहा है कि बहरैन और इस्राईल को जो अपेक्षा थी उसके हिसाब से संबंधों के सामान्य बनाये जाने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही है।

जायोनी शासन के अंदर की स्थिति विस्फोटक रूप धारण कर चुकी है यहां तक कि कुछ हल्के इस्राईल के अंदर आंतरिक लड़ाई की आशंका जता रहे हैं और वहां के हालात पर पैनी नज़र रखे हुए हैं और जायोनी शासन फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ अपने अत्याचारों व अपराधों को यथावत जारी रखे हुए है। यह दो चीज़ें इस बात का मुख्य कारण हैं जिसकी वजह से जायोनी शासन से संबंधों के सामान्य बनाये जाने की प्रक्रिया न केवल आगे नहीं बढ़ रही है बल्कि उसमें विघ्न उत्पन्न हो गया है।

जायोनी संचार माध्यमों ने रिपोर्ट दी थी कि इस्राईली विदेशमंत्री अगले सप्ताह मनामा की यात्रा पर जाने वाले हैं पर अब वह विलंबित हो गयी है। यात्रा के इस विलंबन को संबंधों को सामान्य बनाये जाने में विघ्न उत्पन्न हो जाने के परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। बहरैनी लोगों का मानना है कि इस्राईली विदेशमंत्री की यात्रा जो विलंबित हो गयी है उसकी वजह मनामा में बहरैनी शासक की अनुपस्थिति है जबकि जायोनी संचार माध्यमों का कहना है कि यह मात्र एक बहाना है।

बहरैन के कुछ लोग औपचारिक रूप से इस्राईली विदेशमंत्री की मनामा यात्रा के विलंबन का औचित्य इस प्रकार दर्शा रहे हैं। उनका कहना है कि अगले सप्ताह बहरैनी शासक देश में नहीं रहेंगे और वह इस्राईल के विदेशमंत्री से मुलाकात नहीं कर सकते जबकि जायोनी समाचार पत्र एदीऊत अहारोनोत ने लिखा है कि जायोनी विदेशमंत्री की मनामा यात्रा के विलंबन का मूल कारण इस्राईल के आंतरिक सुरक्षा मंत्री बिन गोविर का मस्जिदुल अक्सा के प्रांगण में दाखिल हो जाना है जिस पर अरब जगत में कड़ी प्रतिक्रिया जताई गयी थी।

ज्ञात रहे कि पिछले सप्ताह इस्राईल के आतंरिक सुरक्षा मंत्री इतमार बिन गोविर ने सैकड़ों जायोनियों के साथ मस्जिदुल अक्सा पर हमला किया था जिस पर बहरैन सहित विभिन्न अरब देशों ने आपत्ति जताई और उसकी भर्त्सना की गयी थी। MM

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