ग़ज़्ज़ा युद्ध ने ख़स्ता कर दी इस्राईल की आर्थिक हालत
फ़िलिस्तीनियों पर दसियों दिनों तक हमले करने के बाद अब इस्राईल को पछताना पड़ रहा है।
ग़ज़्ज़ा युद्ध आरंभ करके जहां अवैध ज़ायोनी शासन को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी का सामना करना पड़ रहा है वहीं पर यह युद्ध आर्थिक दृष्टि से भी इस शासन के लिए बहुत मंहगी सिद्ध हो रही है। ग़ज़्ज़ा युद्ध में इस्राईल को अपना कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया। न तो वह हमास को समाप्त कर पाया और न ही अपने बंधकों को स्वतंत्र कराने में उसको कोई सहायता मिली। ग़ज़्ज़ा पर पचास दिनों से अधिक बमबारी करने के बाद आख़िर में इस्राईल को युद्ध विराम के लिए सहमत होना पड़ा।
फ़िलहाल ग़ज्ज़ा में तो युद्ध विराम चल रहा है किंतु इस दौरान ख़र्च होने वाले पैसों को लेकर इस्राईल बहुत परेशान है। एसा हो सकता है कि व्यापक स्तर पर फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार को इस्राईल अपने लिए विजय समझे किंतु यह वास्तविकता है कि इस युद्ध में उसको कोई भी उपलब्धि हासिल नहीं हो पाई। कोई उपलब्धि हासिल करना तो दूर की बात ग़ज़्ज़ा युद्ध से उसपर भारी आर्थिक दबाव आ गया है। ज़ायोनी शासन के वित्त मंत्रालय के अनुसार इस युद्ध में रोज़ाना लगभग 270 मिलयन डालर का ख़र्च आ रहा था। इस हिसाब से एक महीने में लगभग आठ अरब डालर का ख़र्च। 50 दिन के युद्ध के दौरान अवैध ज़ायोनी शासन को अरबों डालर ख़र्च करने पड़े जो उसके बजट का लगभग सोलह प्रतिशत का है। एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ख़र्च पहले बताए गए ख़र्च से कहीं अधिक है।
ज़ायोनी शासन को यह युद्ध बहुत ही मंहगा पड़ रहा है। इस सैन्य अभियान पर इस्राईल को बहुत बड़ी रक़म ख़र्च करनी पड़ी है। लीडर कैपिटल मार्केट्स द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार ग़ज़्ज़ा युद्ध के चलते इस्राईल को वर्ष 2023-2024 में अपनी अर्थव्यवस्था में लगभग 48 अरब अमरीकी डालरों का नुक़साना होगा। ज़ायोनियों की आर्थिक राष्ट्रीय परिषद ने एक अनुमान के हिसाब से कहा है कि युद्ध के चलते अवैध ज़ायोनी शासन की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव पड़ा है। एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि युद्ध जारी रखने के लिए इस्राईल को भारी क़र्ज़ लेना पड़ेगा। ग़ज़्ज़ा युद्ध, इस्राईल के बजट में घाटे का भी कारण बना है। इस बारे में फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सन 2024 के लिए ज़ायोनी शासन के बजट में तीन गुना वृद्धि हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधी गुट हमास ने 7 अक्तूबर को ज़ायोनी शासन के भीतर घुसकर अलअक़सा तूफान नामक अभियान अंजाम दिया था। इस अभियान को रोकने में अवैध ज़ायोनी शासन पूरी तरह से विफल रहा। उसने अपनी झेंप मिटाने के लिए ग़ज़्ज़ा पर हमलें आरंभ किये जो दसियों दिनों तक चलते रहे। इन हमलों से इस्राईल को कोई भी लाभ नहीं हुआ बल्कि इनसे उसकी अर्थव्यव्सथा चरमरा गई है।
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