Sep ०८, २०२४ १३:०३ Asia/Kolkata
  • हमास के साथ समझौते के लिए मक़बूज़ा क्षेत्रों में प्रदर्शन
    हमास के साथ समझौते के लिए मक़बूज़ा क्षेत्रों में प्रदर्शन

पार्सटुडे – फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के वरिष्ठ अधिकारी ने एलान किया है कि: सैन्य साधनों के माध्यम से ज़ायोनी क़ैदियों को आज़ाद कराने की इस्राईली शासन की योजना पूरी तरह से विफल हो गई है।

क़ैदियों के तबादले के समझौते के संबंध में ज़ायोनी अधिकारियों और हमास के अधिकारियों के बयान, ज़ायोनी क़ैदियों की मौत से पहले की बातचीत, ज़ायोनी शासन के राष्ट्रपति और याइर लैपिड के ज़ायोनी क़ैदियों के बारे में बयान, इस्राईलियों के बड़े पैमाने पर प्रदर्शन के दौरान क़ैदियों के तबादले समझौते की विफलता का विरोध करना और फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को भीषण यातनाएं देने के लिए ज़ायोनी मीडिया की स्वीकारोक्ति, आज के पार्सटुडे के समाचारों के इस पैकेज में शामिल हैं।

 

सैन्य माध्यमों से इजराइली क़ैदियों की रिहाई विफल रही है: हमास के वरिष्ठ सदस्य

 

फ़िलिस्तीन के इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन हमास के एक सीनियर नेता महमूद मरदावी ने अल जज़ीरा से बातचीत में इस बात पर ज़ोर दिया कि पूरी तरह से विफल सैन्य अभियान के माध्यम से इजराइली क़ैदियों की रिहाई, क़ैदियों के आदान प्रदान के समझौते पर हस्ताक्षर के माध्यम से ही संभव होगी।

हमास की सैन्य शाखा शहीद इज़्ज़ुद्दीन अल-क़स्साम बिग्रेड के सैन्य प्रवक्ता अबू ओबैदा ने भी कहा है कि: पांच क़ैदियों को आज़ाद करने के लिए प्रतिरोध द्वारा अदा की जाने वाली कीमत, सभी क़ैदियों को आज़ाद कराने की क़ीमत के समान है।

 

क़स्साम के जवानों ने मेरी जान बचाने की कोशिश की: ज़ायोनी बंदी

 

अल-मयादीन चैनल ने रिपोर्ट दी कि: एक ज़ायोनी क़ैदी अलेक्जेंडर लोबनोव जो कुछ समय पहले ग़ज़ा में मारा गया था और उसके शरीर को 5 अन्य ज़ायोनी क़ैदियों के साथ मक़बूज़ा क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया गया था, अपनी हत्या से पहले एक वीडियो संदेश जारी किया जिसमें उन्होंने कहा: क़स्साम ब्रिगेड के जवानों ने मेरी जान बचाने के लिए मुझे कई बार मेरी जगहें बदलीं और इधर उधर स्थानांतरित किया। ज़ायोनी अधिकारियों को संबोधित करते हुए, लोबनोव ने कहा कि: आप केवल हमें मारना चाहते हैं और युद्धविराम समझौता नहीं करना चाहते।

 

ज़ायोनी क़ैदियों का वीडियो संदेश

 

लेबनान की वेबसाइट अल-नशरह की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में ग़ज़ा में मारी गई ज़ायोनी महिला क़ैदी "ईदान येरुशलमी" ने एक वीडियो संदेश में ज़ायोनी प्रधान मंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू से युद्धविराम और क़ैदियों के तबादले के समझौते पर हस्ताक्षर के संबंध में अपने वादे पर क़ायम रहने को कहा।

इस महिला ज़ायोनी क़ैदी ने क़ैदियों की अदला-बदली में हमास की उचित शर्तों के बारे में नेतन्याहू को संबोधित करते हुए कहा: आपने हमास के साथ क़ैदियों की अदला बदली के समझौते के तहत शालित नामक एक ज़ायोनी सैनिक के बदले 1000 फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को रिहा कर दिया था लेकिन अब हमास ने केवल 250 क़ैदियों की रिहाई की मांग की है।

 

हम क़ैदियों का समर्थन करने में नाकाम रहे: ज़ायोनी राष्ट्रपति

 

इस्ना समाचार एजेंसी के अनुसार, ज़ायोनी राष्ट्रपति इस्हाक़ हर्ज़ोग ने एक ज़ायोनी क़ैदी के अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में कहा: मैं इज़राइल की ओर से माफी मांगता हूं क्योंकि हम 7 अक्टूबर को युद्धबंदियों का समर्थन करने और उन्हें इज़राइल को सुरक्षित लौटाने में विफल रहे, अब हमारे पास एक गंभीर मिशन है और वह क़ैदियों की तत्काल वापसी है।

 

क़ैदियों की अदला बदली के समझौते की विफलता के विरोध में इस्राईलियों द्वारा बड़े पैमाने पर प्रदर्शन

 

ज़ायोनी समाचार पत्र येदीयेत अहरोनोत ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इज़राइल में हजारों लोगों ने, जो चाहते थे कि नेतन्याहू हमास आंदोलन के साथ क़ैदियों की अदला बदली के समझौते पर हस्ताक्षर करें, युद्ध मंत्रालय की इमारत के पास और कुछ ज़ायोनी मंत्रियों के घरों के सामने प्रदर्शन किए। इस प्रदर्शन में प्रदर्शनकारी ग़ज़ा में मारे गए 6 इस्राईली क़ैदियों की तस्वीरें उठाए हुए थे और वे नेतन्याहू के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे थे।

 

फ़िलिस्तीनी क़ैदियों पर ज़ुल्म करने की ज़ायोनी मीडिया की स्वीकारोक्ति

 

हिब्रू भाषा के अखबार हारेत्ज़ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उसे ज़ायोनी सेना द्वारा मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के उत्तरी क्षेत्रों में मजदू जेल में फ़िलिस्तीनी कैदियों की यातनाएं और उनका अनादर किए जाने की की तस्वीरें मिली हैं। मजदू जेल में बंद फ़िलिस्तीनी कैदियों ने कहा है कि उक्त जेल में ऐसी हरकतें काफी आम हैं और ज़ायोनी जेल प्रबंधकों द्वारा क़ैदियों को लगातार शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है।

ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध ने एक आश्चर्यजनक ऑप्रेशन क दौरान ग़ज़ा से सटी ज़ायोनी बस्तियों में घुसकर लगभग 250 ज़ायोनियों को पकड़ लिया था। इनमें से कुछ क़ैदियों को मानवीय रूप से रिहा कर दिया गया था। उनमें से अन्य को ज़ायोनी शासन और हमास के बीच क़ैदियों के अदान प्रदान की कार्यवाही के दौरान रिहा किया गया था। हालांकि, इस्राईल की चरमपंथी कैबिनेट की लापरवाही और ग़ज़ा पट्टी पर क्रूर हमलों के जारी रहने की वजह से इन क़ैदियों में से कई की मौत हो चुकी है। नेतन्याहू के विरोधियों के अनुसार, वह अभी भी ग़ज़ा युद्ध में संघर्ष विराम के समझौते और ज़ायोनी क़ैदियों की अदला-बदली में मुख्य बाधा हैं।

7 अक्टूबर से, पश्चिमी देशों के पूर्ण समर्थन से, ज़ायोनी शासन ने फ़िलिस्तीन के मज़लूम और असहाय लोगों के ख़िलाफ़ ग़ज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में बड़े पैमाने पर नरसंहार शुरू कर दिया है।

दूसरी ओर, ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध और लेबनान, इराक़, यमन और सीरिया में अन्य प्रतिरोध समूहों ने एलान किया है कि वे अतिग्रहणकारी शासन से इन अपराधों का बदला लेंगे।

हालिया दिनों में, मक़बूज़ा क्षेत्रों के विभिन्न शहरों में नेतन्याहू की नीतियों के विरोध में ज़ायोनियों के व्यापक विरोध प्रदर्शन देखने में नज़र आ रहे हैं।

ज़ायोनी सरकार ने पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से 7 अक्तूबर 2023 से ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों के ख़िलाफ़ व्यापक युद्ध आरंभ कर दिया है परंतु अब तक घोषित लक्ष्यों में से किसी भी एक लक्ष्य को वह हासिल नहीं कर सकी है।

प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 40 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 94 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।

ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।

 

कीवर्ड्ज़: ग़ज़ा युद्ध, इजराइली अपराध, ज़ायोनी क़ैदी, हमास की पोज़ीशन, क़ैदियों की अदला बदली का समझौता (AK)

 

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