क्या ज़ायोनी शासन का दोहा पर हमला कहानी का अंत है?
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क्या ज़ायोनी शासन का दोहा पर हमला कहानी का अंत है?
पार्स टुडे - एक ज़ायोनी अखबार ने क़बूल किया है कि क़तर की राजधानी दोहा के एक रिहायशी इलाके पर ज़ायोनी शासन का हवाई हमला तेल अवीव की विवेकहीनता का प्रतीक है।
मंगलवार शाम (9 सितम्बर) को, कतर के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए, इज़राइली विमानों ने देश की राजधानी दोहा में टारगेट पर बमबारी की। यह बमबारी क़तर की राजधानी दोहा में उस इलाक़े में हुई जहां हमास के सीनियर नेता खलील अल-हय्या के नेतृत्व में हमास के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल की बैठक हो रही थी। ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार, तेज़ विस्फोटों और दोहा के आकाश में धुएँ के घने ग़ुबार उठने के बावजूद, हमास प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को कोई नुकसान नहीं पहुँचा। पार्स टुडे के अनुसार, ज़ायोनी अखबार हारेत्ज़ ने एक विश्लेषण में लिखा है कि कतर की राजधानी के एक रिहायशी इलाके पर ज़ायोनी शासन का हवाई हमला इस शासन के इतिहास में सबसे पागलपन भरे सैन्य अभियानों में से एक था और यह तेल अवीव की विवेकहीनता का प्रतीक है।
हारेत्ज़ ने इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कैबिनेट पर नियंत्रण की कमी और ख़तरनाक रणनीतिक परिणामों वाले जल्दबाज़ी में फ़ैसले लेने का आरोप लगाया और इस तरह के ऑपरेशन की ज़रूरत और मक़सद पर सवाल उठाए।
हारेत्ज़ ने लिखा कि ऐसे लोगों की हत्या कौन करेगा जो अपने क़ैदियों की रिहाई के लिए बातचीत कर रहे हों और साथ ही अमेरिका समर्थित युद्धविराम समझौते की शर्तों की समीक्षा भी कर रहे हों?!
इज़राइली मीडिया आउटलेट ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि यह हमला उन लोगों को निशाना बनाकर किया गया था जिन्होंने इज़राइली क़ैदियों के तबादले मामले से संबंधित संवेदनशील वार्ताओं में भाग लिया था, और 7 अक्टूबर, 2023 को युद्ध की शुरुआत के बाद से कतर इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण मध्यस्थों में से एक रहा है।
हारेत्ज़ ने नेतन्याहू की नीतियों की भी कड़ी आलोचना की और लिखा कि यह कार्रवाई इज़राइली प्रधानमंत्री द्वारा क़ैदियों के तबादले के समझौते को विफल करने और अपनी तथा अपने मंत्रिमंडल की राजनीतिक और सैन्य विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के बार-बार किए जा रहे प्रयासों के अनुरूप की गई थी।
इज़राइली मीडिया आउटलेट ने आगे बताया कि कुछ वरिष्ठ इज़राइली सुरक्षा अधिकारियों ने हमले के कार्यान्वयन का विरोध किया था, लेकिन इसने ऑपरेशन को आगे बढ़ने से नहीं रोका और तेल अवीव की सुरक्षा और राजनीतिक निर्णय लेने की प्रणाली के पतन का संकेत दिया। साथ ही, चेतावनी दी कि इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप इज़राइली शासन पर यूरोपीय प्रतिबंध और इज़राइलियों पर यात्रा प्रतिबंध लग सकते हैं, और शासन की आंतरिक सुरक्षा तेज़ी से कमज़ोर हो जाएगी।
हारेत्ज़ ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोहा की घटना कहानी का अंत नहीं है, तथा इसी तरह के हमले इस्तांबुल या क़ाहेरा जैसी अन्य राजधानियों तक फैल सकते हैं, क्योंकि तेल अवीव के पास रणनीतिक दृष्टि का अभाव है और वह पूरी तरह सैन्य शक्ति पर निर्भर है। (AK)
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