गज़ा में इज़राइल के नरसंहार की दहला देने वाले आंकड़े
https://parstoday.ir/hi/news/west_asia-i140802-गज़ा_में_इज़राइल_के_नरसंहार_की_दहला_देने_वाले_आंकड़े
पार्स टुडे - गज़ा युद्ध के नए आंकड़े इज़राइल के नरसंहार के भयावह पैमाने को उजागर कर रहे हैं: 64 हजार से अधिक शहीद और 1 लाख 64 हजार ज़ख्मी, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं, जो यहूदी बस्तावादियों के इस अभूतपूर्व अत्याचार के शिकार हुए हैं।
(last modified 2025-10-31T07:43:52+00:00 )
Oct २९, २०२५ १५:३० Asia/Kolkata
  • फिलिस्तीनी बच्चा जो इज़राइल के गज़ा हमले के बाद अकेला मलबे पर बैठा है
    फिलिस्तीनी बच्चा जो इज़राइल के गज़ा हमले के बाद अकेला मलबे पर बैठा है

पार्स टुडे - गज़ा युद्ध के नए आंकड़े इज़राइल के नरसंहार के भयावह पैमाने को उजागर कर रहे हैं: 64 हजार से अधिक शहीद और 1 लाख 64 हजार ज़ख्मी, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं, जो यहूदी बस्तावादियों के इस अभूतपूर्व अत्याचार के शिकार हुए हैं।

पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में, गज़ा पट्टी ने समकालीन इतिहास के सबसे रक्तरंजित और निर्दयी सैन्य हमलों में से एक को देखा है। 7 अक्टूबर 2023 को इज़राइल की आक्रमणकारी कार्रवाई शुरू होने के बाद से, फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा जारी आंकड़ों ने एक मानवीय त्रासदी का पर्दाफाश किया है, जिसका विस्तार कल्पना से परे है।

 

प्रमाणित रिपोर्टों के अनुसार, अक्टूबर 2025 तक, 68 हजार से अधिक लोग शहीद हो चुके हैं और 1,64,260 लोग घायल हो चुके हैं; यह आंकड़ा इज़राइल के बर्बर हमलों के जारी रहने के साथ हर दिन बढ़ भी रहा है।

 

इस नरसंहार के शिकार हुए लोगों का एक बड़ा हिस्सा महिलाएं और बच्चे हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, 14,800 से अधिक फिलिस्तीनी बच्चे मारे जा चुके हैं और सैकड़ों अन्य भूख और कुपोषण के कारण शहीद हुए हैं। यह आंकड़ा न केवल यहूदी बस्तावादियों के हमलों की तीव्रता को दर्शाता है, बल्कि सीधे तौर पर असैनिक लोगों और अस्पतालों, स्कूलों और राहत केंद्रों जैसे महत्वपूर्ण ढांचों को निशाना बनाए जाने का सबूत भी है।

 

मानवीय हताहतों के साथ-साथ, गज़ा के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं और आवासीय क्षेत्रों, अस्पतालों और राहत केंद्रों पर 3,052 से अधिक सीधे हमले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, अस्पतालों में छह सामूहिक कब्रें भी खोजी गई हैं, जो कब्जाधारी सेना के फिलिस्तीनी पीड़ितों के साथ अमानवीय व्यवहार को दर्शाती हैं।

 

इज़राइल ने राहतकर्मियों और पत्रकारों को निशाना बनाने से भी परहेज नहीं किया है और नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, इन हमलों के दौरान 491 से अधिक चिकित्सा कर्मी, 141 पत्रकार और 67 नागरिक सुरक्षा बलों के सदस्य शहीद हो चुके हैं। ये कार्य न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानवाधिकारों की स्पष्ट उल्लंघन हैं, बल्कि इज़राइल द्वारा सच्चाई की आवाज को दबाने और मैदानी हकीकत को सामने आने से रोकने की एक व्यवस्थित कोशिश को भी दर्शाते हैं।

 

इन आंकड़ों के अलावा, 7,000 से अधिक लोग अब भी लापता हैं और ऐसा माना जाता है कि उनमें से कई मलबे के नीचे दबे होंगे। गंभीर मानवीय परिस्थितियों, भोजन, दवाओं और पीने के पानी की भारी कमी, और गज़ा की पूर्ण नाकाबंदी ने इस पट्टी की स्थिति को पूर्ण तबाही की कगार पर पहुंचा दिया है।

 

इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस नरसंहार के सामने भारी चुप्पी साधे रखी है और हमलों को रोकने और मानवीय स्थिति को संबोधित करने की लगातार अपीलों के बावजूद, प्रतिक्रियाएं मुख्य रूप से राजनयिक बयानों तक सीमित रही हैं। यह चुप्पी न केवल युद्ध अपराधियों के साथ सहभागिता है, बल्कि उस त्रासदी की निरंतरता का मार्ग भी प्रशस्त कर रही है जो हर दिन सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान ले रही है।

 

अंत में, यह कहना होगा कि गज़ा युद्ध के दहला देने वाले आंकड़े उस अपराध के जीवंत दस्तावेज हैं जिसे इतिहास में दर्ज किया जाना चाहिए। गज़ा में इज़राइल का नरसंहार न केवल एक क्षेत्रीय संकट है, बल्कि वैश्विक अंतरात्मा की एक परीक्षा भी है; एक ऐसी परीक्षा जो अब तक नैतिक और मानवीय रूप से विफल रही है। (AK)