सुरक्षा परिषद ख़ामोश, सीरिया पर इस्राईल का फिर ड्रोन हमला
सुरक्षा परिषद ख़ामोश, सीरिया पर इस्राईल का फिर ड्रोन हमला
दक्षिणी सीरिया के क़ुनैतरा प्रांत में ज़ायोनी सेना के एक ड्रोन हमले में 3 सीरियाई सैनिक हताहत हुए। सीरियाई सूत्रों के अनुसार, सीरियाई सैनिक क़ुनैतरा प्रांत में आतंकियों के मोर्चे के पीछे से आगे बढ़ रहे थे कि ज़ायोनी सेना के ड्रोन हमले का निशाना बने।
यह पहली बार नहीं है जब सीरियाई सैनिक और सीरियाई सेना की छावनियां ज़ायोनी शासन के आतंकियों के समर्थन में किए गए हमले का निशाना बने हैं। 27 अप्रैल को भी ज़ायोनी सेना ने इसी प्रकार के एक हमले में दमिश्क में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक सैन्य छावनी को कई रॉकेट से निशाना बनाया था।
पिछले कुछ साल से सीरिया को पश्चिम, विश्व ज़ायोनीवादी और उसके क्षेत्रीय घटकों के मिले जुले व्यापक षड्यंत्र का सामना है। इसी षड्यंत्र के परिप्रेक्ष्य में सीरिया में मार्च 2011 में जैसे ही जनता के एक गुट का विरोध शुरु हुआ, ज़ायोनी शासन और उसकी पश्चिम की समर्थक सरकारों ने इस विरोध को ख़ूब हवा दी और आतंकियों व उपद्रवियों की मदद कर इस देश में अशांति भड़का दी।
इस्राईल सीरिया के अतिग्रहित फ़िलिस्तीन से मिले सीमावर्ती क्षेत्रों में ख़ास तौर पर गोलान हाइट्स पर अतिक्रमण तेज़ करके सीरिया में आतंकियों की गतिविधियां जारी रखने का रास्ता समतल रखना चाहता है।
इस समय सीरिया के ख़िलाफ़ इस्रईल की विस्तारवादी गतिविधियों में तेज़ी, दमिश्क़ के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन की बुरी नियत और सीरिया संकट के पीछे अमरीका और इस्राईल के हाथ को ज़ाहिर करती है।
लेकिन इस तरह के षड्यंत्र सीरियाई जनता और ज़ायोनी विरोधी प्रतिरोधक बल की समझदारी से नाकाम हो गए और आतंकियों व उनके समर्थकों को इस तरह के षड्यंत्र का कोई फ़ायदा नहीं पहुंचा। यह ऐसी हालत में है कि विश्व जनमत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ख़िलाफ़ आक्रोश पाया जाता है क्योंकि उसने क्षेत्र में ज़ायोनी शासन की युद्धोन्मादी नीतियों की निंदा में एक भी प्रस्ताव अब तक पारित नहीं किया। (MAQ/T)