यूएई और इस्राईल में साठगांठ का लक्ष्य क्या है?
यूएई और इस्राईल में साठगांठ का लक्ष्य क्या है?
ऐसी ख़बरें सामने आयी हैं जिनसे इस्राईल की आतंकवादी गतिविधियों के संबंध में संयुक्त अरब इमारात के सहयोग के नए आयाम से पर्दा उठा है। इस पर्दाफ़ाश से एक बार फिर जनमत का ध्यान इस ओर मुड़ा है कि क्षेत्र में इस्राईल की आतंकवादी नीतियों को आगे बढ़ाने और फ़िलिस्तीनी जनता के दमन में क़ुद्स के अतिग्रणहकारी शासन के साथ अरब शासकों की साठगांठ है।
ब्रिटेन स्थित अरब मानवाधिकार संगठन ने इस बात का पर्दाफ़ाश किया कि हमास के अधिकारी महमूद मबहू की हत्या करने वाली टीम के 2 सदस्य संयुक्त अरब इमारात में आज़ादी से घूम रहे हैं और उनके ख़िलाफ़ किसी प्रकार की कोई क़ानूनी कार्यवाही नहीं हुयी है।
अरब मानवाधिकार संगठन ने अपने बयान में बल दिया कि महमूद मबहू की हत्या के ज़िम्मदार तत्व फ़रार करके जॉर्डन गए लेकिन जॉर्डन के अधिकारियों ने उन्हें यूएई के अधिकारियों के हवाले कर दिया। 50 साल के महमूद मबहू को 19 जनवरी 2010 को दुबई में एक होटल में मोसाद के तत्वों ने ज़हरीला इंजेक्शन देकर हताहत कर दिया।
क़तर के अलजज़ीरा टीवी चैनल ने महमूद मबहू ही हत्या में यूएई की भूमिका का पर्दाफ़ाश किया था। दस्तावेज़ के आधार पर अलजज़ीरा ने रहस्योद्घाटन किया था कि मबहू की हत्या में लिप्त टीम के दो सदस्य दुबई में उनकी हत्या से 7 साल पहले इस देश की जेल से आज़ाद हुए थे और उन्होंने दुबई में मोसाद के तत्व से अनेक बार मुलाक़ात की थी।
हमास के अधिकारी ख़ालिद मशअल पर 1997 में जॉर्डन में जानलेवा हमला हुआ था जो नाकाम रहा था। इस हमले की जांच से इस बात से पर्दा उठा था कि मशअल की हत्या की साज़िश का केन्द्र यूएई में था।
वास्तव में इस्राईल आतंकवादी नीति के ज़रिए क्षेत्र में अपने अतिग्रहण के ख़िलाफ़ हर प्रकार के प्रतिरोध को ख़त्म करना चाहता है। क्षेत्र के अरब शासक भी कि जिनके पास जनाधार नहीं हैं और वह ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ प्रतिरोध की लहर को अपने लिए ख़तरा समझते हैं, फ़िलिस्तीनी जनता सहित क्षेत्रीय राष्ट्र के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन से सहयोग कर रहे हैं। यूएई के अधिकारियों की इस अपरिपक्व नीति और इस्राईल के साथ उनके सहयोग का पर्दाफ़ाश होने से क्षेत्र के जनमत के निकट उनकी स्थिति पहले से ज़्यादा ख़राब हो गयी है। (MAQ/T)