बहरैन, इमाम हुसैन (अ) के श्रद्धालुओं पर सुरक्षा बलों का हमला
बहरैन में आले ख़लीफ़ा शासन द्वारा शिया मुसलमानों के दमन का क्रम जारी है जिसका एक उदाहरण रविवार को देखने को मिला जब इमाम हुसैन (अ) के श्रद्धालुओं पर सुरक्षा बलों ने हमला करके कई को घायल कर दिया।
एक ओर जहां दुनिया भर में पैगंम्बरे इस्लाम (स) के नाती हज़रत इमाम हुसैन (अ) का शोक मनाने के लिए मुसलमान तैयारी कर रहे हैं वहीं बहरैन के भी शिया मुसलमान मुहर्रम की तैयारी में व्यस्त हैं और इमाम हुसैन (अ) की याद में इमामबाड़ों, धार्मिक स्थलों और अपने-अपने घरों में धार्मिक और काले रंग के झंड़े लगा रहे हैं। दूसरी तरफ़ आले ख़लीफ़ा शासन के सुरक्षा बल इमाम हुसैन (अ) के नाम के लगने वाले धार्मिक झंड़ों और बैनरों को हटाने का काम कर रहे हैं और साथ ही श्रद्धालुओं पर हमले करके उनको अज़ादारी करने से रोक रहे हैं।
बहरैन से प्राप्त समाचारों के अनुसार अलसेनाबस क्षेत्र में आले ख़लीफ़ा के सैनिकों ने उन लोगों को भी गिरफ़्तार कर लिया जो मजालिस और अज़ादारी के लिए टेंट लगाकर अस्थायी इमामबाड़े बना रहे थे।
उल्लेखनीय है कि यह पहली बार नहीं है कि आले ख़लीफ़ा सरकार ने पवित्र मोहर्रम महीने में इमाम हुसैन (अ) का शोक मनाने वाले श्रद्धालुओं पर हमला करके धार्मिक बैनरों और झंड़ों का अपनमान किया हो। जबकि बहरैन की अत्याचारी सरकार की ओर से कड़े प्रतिबंधों और दमनात्मक कार्यवाहियों के बावजूद बहरैनी जनता ने कुछ क्षेत्रों में सड़कों पर उतर कर आले ख़लीफ़ा शासन के इस अपमानजनक क़दम के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए और बहरैनी सैनिकों को मोहर्रम में निकाले जाने वाले "अलम" और अन्य धार्मिक निशानियों के पास नहीं आने दिया।
दूसरी ओर सूचना है कि आले ख़लीफ़ा शासन की जेल में भूख हड़ताल पर बैठे धर्मगुरू, मजीद मशअल और शेख़ हसन ईसा की शारीरिक हालत बेहद ख़राब है।
भूख हड़ताल पर बैठे दोनों धर्मगुरू भूख हड़ताल पर हैं। यह धर्मगुरू बहरैन की केंद्रीय जेल में इस देश के शासन और जेल में बंद क़ैदियों तथा स्वयं जेल की ख़राब स्थिति के ख़िलाफ़ 9 सितम्बर से भूख हड़ताल पर हैं। इन धर्मगुरूओं ने कहा है कि जबतक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जातीं, तबतक वे भूख हड़ताल को ख़त्म नहीं करेंगे। (RZ)