इस्राईल की सत्ता का पांचवा स्तंभ कौन?
सऊदी अरब और इस्राईल के बीच गोपनीय संबन्धों का इतिहास बहुत पुराना है।
वैसे तो यह कहा जाता है कि लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं किंतु अवैध ज़ायोनी शासन की सत्ता के पांच स्तंभ बताए जाते हैं। आइए देखते हैं कि सत्ता का यह पांचवा स्तंभ है कौन?
सऊदी अरब और ज़ायोनी शासन, दोनो ही वर्षों से कूटनैतिक, आर्थिक और सैनिक क्षेत्रों में परस्पर सहकारिता करते आ रहे हैं। क़तर से प्रकाशित होने वाले अरबी समाचारपत्र अश्शर्क़, इस बारे में लिखता है कि सऊदी विदेश मंत्रालय और अवैध ज़ायोनी शासन के बीच गोपनीय संबन्धों के पुष्ट प्रमाण मौजूद हैं। इन गोपनीय प्रमाणों से पता चलता है कि सन 1966 में रेयाज़ से तेलअवीव से मांग की थी कि वह मिस्र के सीना क्षेत्र का अतिग्रहण कर ले। इसी प्रकार से रेयाज़ ने इस्राईल से सीरिया पर हमला करके यह मांग की थी कि वह उसके एक भाग को अलग कर दे। इसी के साथ सऊदी अरब की ओर से इस्राईल से यह भी मांग की गई थी कि वह ग़ज़ा और जार्डन नदी के पश्चिमी तट का परिवेष्टन कर ले ताकि फ़िलिस्तीन को स्वतंत्र कराने का अरब देशों का प्रयास सदा के लिए बंद हो जाए। सऊदी अरब और ज़ायोनी शासन संयुक्त रूप में अरब देशों के विरुद्ध मनोवैज्ञानिक युद्ध करते हैं।
यह सारी बातें एेसी स्थिति मेंं हैं कि सऊदी अरब और इस्राईल के बीच आधिकारिक रूप में कूटनैतिक संबन्ध नहीं हैं। बताया यह जा रहा है कि लंबे समय तक गोपनीय संबन्ध रखने के बाद अब दोनो ही पक्ष अपने संबन्धों को सार्वजनिक करना चाहते हैं। सऊदी अरब क्षेत्र में ज़ायोनी शासन की विस्तारवादी कार्यवाहियों में उसका समर्थक रहा है।
मध्यपूर्व के परिवर्तनों ने विश्व जनमत के सामने इस वास्तविकता को स्पष्ट कर दिया है कि सऊदी अरब, अवैध ज़ायोनी शासक का बहुत पुराना सहयोगी है।