सऊदी अरब की निंदा का क्रम जारी है
सऊदी अरब की ग़ैर लोकतांत्रिक सरकार इस देश के मुसलमानों के दमन के लिए आतंकवाद से मुकाबला जैसे झूठे नारे को आधार बनाती है
सऊदी अरब के सुरक्षा बलों ने इस देश के पूर्व में स्थित क़तीफ़ क्षेत्र के एक गांव में हमला करके आठ नागरिकों की हत्या कर दी। इन सऊदी नागरिकों की हत्या पर विस्तृत पैमाने पर प्रतिक्रिया जताई जा रही है।
कतीफ़ के क्षेत्र में सऊदी सुरक्षा बलों और इस देश के नागरिकों के मध्य होने वाली झड़प का आधार धर्म है।
कतीफ में रहने वाले अधिकांश लोगों का संबंध शीया समुदाय से है। सऊदी अरब स्वयं को पूरी दुनिया में सुन्नी मुसलमानों का मार्गदर्शक समझता है जबकि वह इस देश के शीया मुसलमानों के साथ पूरी तरह भेदभाव से काम लेता है और उन्हें दूसरे दर्जे का श्रेणी समझता है।
यही विषय सऊदी अरब के शीया आवासीय क्षेत्रों में झड़पों और सरकार विरोधी प्रदर्शनों व आपत्तियों का कारण बना है और सऊदी अरब की तानाशाही सरकार शीया मुसलमानों के दमन में किसी प्रकार के संकोच से काम नहीं ले रही है।
दूसरी बात यह है कि कतीफ में आले सऊद सरकार की कार्यवाहियां केवल हिंसा, मारपीट और हत्या तक सीमित नहीं है बल्कि ये कार्यवाहियां विभिन्न रूपों में जारी हैं जैसे शीया आवासीय क्षेत्रों का परिवेष्टन, शीया मकानों की तलाशी, चेक पोस्टों का बनाया जाना, मुख्य मार्गों का बंद कर दिया जाना, सक्रिय लोगों के खिलाफ कार्यवाही करना और सामान्य लोगों व धार्मिक नेताओं को फांसी दे देना आदि।
सऊदी अरब की ग़ैर लोकतांत्रिक सरकार इस देश के शीया मुसलमानों के दमन के लिए आतंकवाद से मुकाबला जैसे झूठे नारे को आधार बनाती है और इसके बहाने वह सरकार के खिलाफ होने वाली हर प्रकार की आलोचना को राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए खतरा बताकर शीया मुसलमानों के खिलाफ कार्यवाही करती है।
सऊदी अरब के सुरक्षा बलों ने पिछले दिनों जिन आठ नागरिकों की हत्या कर दी उसे भी आतंकवाद से झूठे मुकाबले के परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।
सऊदी अरब की अप्रजातांत्रिक सरकार शीया मुसलमानों के खिलाफ जो अपराध कर रही है उसकी एक बहुत बड़ी वजह उसके अपराधों पर मानवाधिकारों का राग अलापने वाली पश्चिमी सरकारों, मानवाधिकार संगठनों व संस्थाओं की चुप्पी है और वे सऊदी अरब द्वारा किये जा रहे अपराधों पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं जता रही हैं।
दूसरे शब्दों में पश्चिमी सरकारों, संगठनों और संस्थाओं की अर्थपूर्ण चुप्पी से एक बार फिर यह सिद्ध हो गया है कि जहां भी उनके हितों को खतरा होता है वे मौन धारण कर लेती और मानवाधिकार जैसे बहुत से विषयों में दोहरे मापदंड से काम लेती हैं। MM