बहरैन में इमाम हुसैन (अ) के श्रद्धालुओं पर आले ख़लीफ़ा के वहशी कुत्तों का हमला
बहरैनी जनता पर आले ख़लीफ़ा शासन के अत्याचारों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, इसी कड़ी में बहरैन के आले ख़लीफ़ा शासन ने मोहर्रम के आरंभ होते ही पूरे देश में इमाम हुसैन (अ) के ग़म में आयोजि होने वाली सभी शोक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, बहरैन की आले ख़लीफ़ा सरकार द्वारा मोहर्रम में आयोजित होने वाले हर तरह के कार्यक्रमों पर लगी रोक के बावजूद इस देश के शिया बाहुल्य इलाक़ों में मोहर्रम का चाँद नज़र आते ही काले परचम और बैनर लग गए और हर ओर से या हुसैन की आवाज़ें आने लगीं। बहरैन के लोगों ने स्वास्थ्य संबंधित सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सुरक्षा बलों के अत्याचारों के बावजूद इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और कर्बला के अन्य शहीदों को याद किया और उनके ऊपर हुए अत्याचारों को याद करके आंसू बहाए। इस बीच आले ख़लीफ़ा शासन के सुरक्षा कर्मियों ने कई इमामबाड़ों के ज़िम्मेदारों को हिरासत में ले लिया और वहां लगे काले परचम और बैनर को उतार ले गए साथ ही लाउडस्पीकरों को भी ज़ब्त कर लिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बहरैन के कई इलाक़ों में मोहर्रम का बैनर हटाने पहुंचे आले ख़लीफ़ा शासन के सुरक्षा बलों को रोकने के लिए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के युवा श्रद्धालु उनके सामने सीना तान कर खड़े हो गए। इस बीच आले ख़लीफ़ा के सुरक्षा कर्मियों ने इमाम हुसैन (अ) के श्रद्धालुओं पर हमला कर दिया, सुरक्षा बलों ने इस हमले में वहशी कुत्तों का भी इस्तेमाल किया और साथ ही श्रद्धालुओं पर आंसू गैस के गोले भी फ़ायर किए, जिसमें कई श्रद्धालुओं का दम घुटने लगा।
ग़ौरतलब है कि 2011 में बहरैन में जन आंदोलन की शुरूआत के बाद से आले ख़लीफ़ा शासन के सैनिक हर साल मोहर्रम में अज़ादारी करने वाले शिया मुसलमानों पर हमला कर देते हैं और लोगों को उठाकर ले जाते हैं। (RZ)
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