बोरिस जॉनसन की कोविड नीति फिर सवालों के घेरे में
(last modified Sat, 06 Nov 2021 18:10:08 GMT )
Nov ०६, २०२१ २३:४० Asia/Kolkata
  • बोरिस जॉनसन की कोविड नीति फिर सवालों के घेरे में

वर्तमान हालात में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कोविड-19 नीति फिर से चर्चा के केंद्र में आ गई है। जॉनसन ने बीते जुलाई में देश में कोरोना संबंधी तमाम प्रतिबंध हटा लिए थे।

ब्रिटेन में कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ एक बार फिर इस देश की उपचार व्यवस्था पर दबाव बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है।

जूलाई में जानसन की सरकार ने दावा किया था कि देश में टीकाकरण की ऊंची दर के कारण अब महामारी का विकराल रूप देखने को नहीं मिलेगा। ब्रिटेन के कई संक्रामक रोग विशेषज्ञ अब जॉनसन सरकार के इस दावे पर सवाल उठा रहे हैं।

फिलहाल, दुनिया में रोजाना जितने नए कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, उनमें लगभग दस फीसदी हिस्सा ब्रिटेन का है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि नए हालात के कारण प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कोविड-19 नीति की आलोचना शुरू हो गई है।  इस समय ब्रिटेन के अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या उतनी नहीं है, जितनी एक साल पहले थी।  ब्रिटेन के विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दी का मौसम आते ही स्थिति बदल सकती है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि वैक्सीन से लोगों में जो इम्युनिटी पैदा हुई थी, अब उसके कमजोर पड़ने के लक्षण देखने को मिल रहे हैं।

लंदन स्थित इम्पीरियल कॉलेज में प्रोफेसर पाब्लो पेरेज गुजमान ने कहा है कि देश के हेल्थ सिस्टम पर ऐसा दबाव आ सकता है, जिसे झेलने में वह नाकाम होने लगे।  मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ब्रिटेन में कोविड संक्रमण में बढ़ोतरी सितंबर के बाद ही होने लगी थी। कई ऐसे दिन भी आए जब संक्रमण के 30 हजार से अधिक नए केस सामने आए। लेकिन टीकाकरण के कारण मृत्यु और अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या पहले से कम रही है।  ब्रिटेन में मृत्यु की दर में इस साल जनवरी की तुलना में 90 फीसदी तक गिरावट दर्ज हुई है लेकिन लीड्स यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग विशेषज्ञ स्टीफ ग्रिफिन ने अनुमान लगाया है कि आने वाले दिनों में अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या इतनी बढ़ सकती है, जिससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के तहत आने वाले अस्पतालों में जगह न बचे। बताया जाता है कि इन भविष्यवाणियों से एनएचएस के डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी चिंतित हैं।  याद रहे कि ब्रिटेन अकेला एसा देश नहीं है, जिसे कोरोना महामारी की नई लहर का सामना करना पड़ रहा है।

बोरिस जॉनसन सरकार इसलिए आलोचना के केंद्र में आई है क्योंकि उसने दूसरे देशों से अलग कोविड-19 रणनीति अपनाई। जर्मनी, फ्रांस, इटली तथा कुछ देशों में लॉकडाउन खत्म करने के बावजूद बचाव के बुनियादी नियमों को लागू रखा गया। वहां मास्क पहनना अनिवार्य है। सोशल डिस्टेंसिंग के नियम भी कमोबेश जारी हैं।  इनके विपरीत ब्रिटेन में इन नियमों को एक ही झटके में हटा लिया गया।

डॉक्टरों की संस्था ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन (बीएमए) के अध्यक्ष चांद नागपाल ने कहा कि हम समझ ही नहीं पाए कि सरकार ने मास्क पहनने की अनिवार्यता क्यों खत्म कर दी?  उन्होंने कहा कि मास्क पहनने से आर्थिक गतिविधियों में कोई बाधा नहीं पड़ती, जबकि मास्क की वजह से संक्रमण से बचाव ज़रूर होता है।