फ्रांस में राष्ट्रव्यापी हड़ताल, प्रदर्शनकारियों से पुलिस की हिंसक झड़प
फ़्रांस में आर्थिक एवं राजनीतिक संकट विस्तृत होता जा रहा है।
फ़्रांसीसी नागरिकों ने "येलो वेस्ट" आन्दोलन के चौथे वर्ष में प्रविष्ट होने के अवसर पर व्यापक प्रदर्शन किये। पेरिस में किये जाने वाले इन विरोध प्रदर्शनों के विरुद्ध फ्रांसीसी पुलिस ने हिंसक कार्यवाहियां कीं।
फ्रांस का येलो वेस्ट विरोध प्रदर्शन, नवंबर 2018 से आरंभ हुआ था जो अब भी जारी है। पिछले कई वर्षों से फ्रांस को गंभीर आर्थिक एवं राजनीतिक संकट का सामना है। येलो वेस्ट आंदोलन के आरंभ होने के कारण का मुख्य कारण तेल के बारे में सरकार की नीति थी। सरकार ने इस ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जिसके कारण यह एक सरकार विरोधी राष्ट्र व्यापी आन्दोलन में बदल गया। अब जबकि यह आन्दोलन चौथे वर्ष में प्रविष्ट हो चुका है, फ़्रांस को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। वहां पर मंहगाई ने पिछले 37 वर्षों का रेकार्ड तोड़ दिया है।
इस बारे में एक फ्रांसीसी अर्थशास्त्री मैटियो पैलेन कहते हैं कि कंपनियों को इस समय उच्च ब्याज दरों, उत्पादन की बढ़ती लागत, मज़दूरी के बढ़ते भुगतान, मंहगे कच्चे माल और इसी प्रकार की कुछ अन्य समस्याओं के कारण कम लाभ जैसी मुश्किल का सामना है। इसी के साथ यूक्रेन युद्ध के बाद ऊर्जा के मूल्यों में वृद्धि तथा जाड़े का मौसम आरंभ होने पर फ़्रांस की आर्थिक समस्या कई गुना हो गई है। ईंधन की कमी और उसके बढ़ते मूल्यों के कारण फ्रांस सहित यूरोप के कई देशों में विरोध प्रदर्शन किये जा रहे हैं लेकिन फ्रांस में यह अधिक स्पष्ट रूप में दिखाई दे रहा है। फ़्रांस में चल रहे "येलो वेस्ट" आन्दोलन से इस देश को अरबों यूरो की क्षति पहुंची है।
सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब फ्रांस के परमाणु बिजलीघर के कमर्चारी भी शामिल हो चुके हैं। यह लोग वेतन को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्होंने फ्रांस के 8 परमाणु बिजलीघरों की मरम्मत और उसके रखरखाव के काम को रोक दिया है। तेल और गैस के सेक्टर में लगे लोगों की हड़ताल के कारण फ़्रांस के लाखों वाहन चालकों को ईंधन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इन बातों के दृष्टिगत वर्तमान समय में फ्रांस की स्थति ख़राब है। वहां के लोग आर्थिक दृष्टि से अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
उधर यूक्रेन युद्ध में यूरोपीय देशों द्वारा उसका साथ दिये जाने के कारण अब यूरोपीय देशों के बहुत से नागरिक नाराज़ हैं। इसी संदर्भ में हज़ारों फ़्रांसीसियों ने कल प्रदर्शन करते हुए अपनी सरकार से मांग की है कि पेरिस को नेटो से अलग किया जाए। प्रदर्शनकारी अपने हाथों में प्लेकार्ड्स लिए हुए थे जिनपर युद्ध के विरुद्ध नारे लिखे हुए थे। इन हालात के कारण एसा लग रहा है कि फ्रांस को गंभीर संकट का सामना है।