गैस की क़िल्लत से पाकिस्तान के कपड़ा उद्योग को भारी नुक़सान
ऊर्जा और गैस की क़िल्लत से पाकिस्तान का कपड़ा उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है और पिछले एक महीने में इस देश के कपड़ा निर्यात में 20 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
पाकिस्तान की प्राकृतिक गैस की कमी देश के मुख्य निर्यात उद्योग को नुक़सान पहुंचा रही है और पहले से ही तेज़ मुद्रास्फीति और कमज़ोर मुद्रा से जूझ रही अर्थव्यवस्था पर और भी अधिक दबाव पड़ रहा है।
ऑल पाकिस्तान टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक शाहिद सत्तार का कहना है कि गैस की कमी के कारण पंजाब में कई उद्योग बंद हो गए हैं, जिसके नतीजे में पिछले महीने देश के कपड़ा निर्यात में 20 फ़ीसदी की कमी आई है।
सत्तार का कहना था कि देश में कपड़ा उद्योग का केंद्र पंजाब है, लेकिन यहां ऊर्जा की कमी के कारण 15 दिन के लिए कारख़ानों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे पाकिस्तान के निर्यात में 25 करोड़ डॉलर की कमी आई है।
पाकिस्तान के इकोनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले 9 महीनों के दौरान पाकिस्तान के कपड़ा उद्योग ने 11 अरब डॉलर के उत्पादन का निर्यात किया था, जो पाकिस्तान के कुल निर्यात का 60 फ़ीसद है, लेकिन ऊर्जा की कमी के कारण कपड़ा उद्योग को होने वाले नुक़सान के कारण देश का निर्यात बुरी तरह से प्राभित हो रहा है, जिससे पहले से ही बेहाल अर्थव्यवस्था और ख़स्ताहाल हो सकती है।
ऊर्जा ईंधन की भारी कमी से न केवल कपड़ा उद्योग बल्कि समस्त उत्पादन इकाईयां प्रभावित हो रही हैं, इससे बेरोज़गारी में वृद्धि हो रही है और देश पूरी तरह से आयातित वस्तुओं पर निर्भरत होता जा रहा है। पाकिस्तान दिन प्रतिदिन क़र्ज़ की दलदल में धंसता जा रहा है और देश पूर्ण रूप से दिवालिया होने की कगार पर है।
पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान में प्राकृतिक गैस की स्थानीय आपूर्ति में गिरावट आई है, इसलिए गैस के आयात में वृद्धि के अलावा इसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है।
लेकिन पाकिस्तान के कपड़ा उद्योग को ऐसी स्थिति में तगड़ा झटका लगा है, जब उसे अपने पड़ोसी देशों भारत और बांग्लादेश से इस क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले साल अप्रैल में कपड़ा उद्योग को कच्चे माल का सामना था, जिसके बाद कपास आयात की उच्चस्तरीय समिति ने भारत से कपास के आयात का अनुरोध किया था, लेकिन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की अगुवाई वाले मंत्रिमंडल ने समिति के प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था। उस समय पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा था कि जब तक भारत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल नहीं करता है, तब तक उसके साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं।
पाकिस्तान को जिन आर्थिक चुनौतियों का सामना है, उसके लिए पड़ोसी देशों ख़ास तौर पर ईरान जैसे पड़ोसी देश के साथ सहयोग के अलावा कोई विकल्प नहीं है। ईरान के पास गैस का एक बड़ा भंडार है, जिससे पाकिस्तान सस्ते दामों में अपनी ज़रूरत पूरी कर सकता है। लेकिन दोनों देशों के बीच गैस की आपूर्ति को लेकर हुए समझौते को 12 साल का समय बीत चुका है, लेकिन वाशिंगटन के दबाव के कारण पाकिस्तान ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अब पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व को देश की ख़स्ताहाल अर्थव्यस्था को बचाने और सामने मौजूद बड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए राष्ट्रीय हित में कुछ कड़े फ़ैसले लेने ही होंगे।