ब्रसल्ज़ में बाइडेन ने रूस के ख़िलाफ़ क्या कहा?
(last modified Fri, 25 Mar 2022 10:34:37 GMT )
Mar २५, २०२२ १६:०४ Asia/Kolkata

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन यूरोपीय संघ और नैटो के मुख्यालय ब्रसल्ज़ पहुंचे ताकि जी-7, नैटो और यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक में भाग ले सकें।

यह पहली बार है जब नैटो के नेताओं की बैठक में कोई अमेरिकी राष्ट्रपति भाग ले रहा है। जो बाइडेन ने गुरूवार को नैटो के नेताओं की बैठक में भाग लेने के बाद एलान किया कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किये जाने के बाद नैटो नयी स्ट्रैटैजी अपनायेगा और यूक्रेन के प्रति अपनी सहायता जारी रखेगा। बाइडेन ने कहा कि यूरोप के पूरब में युद्ध के नये गुट का गठन किया जायेगा जो इस बात की पुष्टि करेगा कि हम नैटो और उसके समर्थक देशों के प्रबल समर्थक हैं।

इसी प्रकार उन्होंने कहा कि मैं सोचता हूं कि जी-20 को चाहिये कि वह रूस को निकाल दे और ब्रसल्ज़ में होने वाली मुलाकातों के दौरान इस विषय पर चर्चा हो चुकी है। उन्होंने रूस के खिलाफ लगाये गये प्रतिबंधों के संबंध में कहा कि प्रतिबंध कभी भी रोधक नहीं होते हैं परंतु वे रूसी राष्ट्रपति को रोक देंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन द्वारा रूस की संभावित सहायता के संबंध में कहा कि चीन संभावित सहायता के परिणामों से अवगत है। इसी प्रकार जो बाइडेन ने यह दावा भी किया कि अगर पुतीन ने यूक्रेन में रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया तो अमेरिका इसका जवाब देगा परंतु यह जवाब स्थिति व हालात पर निर्भर है।

प्रतीत यह हो रहा है कि इन हालात में जो बाइडेन की यात्रा का लक्ष्य रूस पर दबाव डालना और अपने सहयोगियों व घटकों को यह आभास दिलाना कि अमेरिका उनके साथ है। 24 मार्च को अमेरिका ने रूस के 400 राजनेताओं और कंपनियों के खिलाफ नया प्रतिबंध लगा दिया। अमेरिकी वित्तमंत्रालय ने एक विज्ञप्ति जारी करके एलान किया है कि उसने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की सूची में वृद्धि कर दी है और उसने रूस की दसियों कंपनियों के अलावा ड्यूमा के 328 सांसदों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिका ने रूस के सेंट्रल बैंक पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

अमेरिकी वित्तमंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसी प्रकार का कार्य यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और कनाडा की ओर से भी किया गया है जो इस बात का सूचक है कि ये देश रूसी राष्ट्रपति को जवाबदेह होने के लिए एकजुट हैं।

प्रतीत यह हो रहा है कि नैटो को मज़बूत करने और अपने पारम्परिक प्रतिस्पर्धी रूस को आघात पहुंचाने का बेहतरीन मौका अमेरिका को मिल गया है और इस विषय से वह यथासंभव लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है।

इसी प्रकार अमेरिका यह सोच रहा है कि यूरोपीय और ग़ैर यूरोपीय देशों को वाशिंग्टन के निकट करने का यह बेहतरीन अवसर है और बहुत से देश भी यह सोच रहे हैं कि अगर कोई देश रूस का मुकाबला कर सकता है तो वह अमेरिका है इसलिए कुछ देश अमेरिका से निकटता में अपनी भलाई देख रहे हैं। 

वास्तविकता यह है कि अमेरिका किसी का सगा नहीं है और उसने किसी के साथ भी वफा नहीं किया है और जब उसके हित खतरें में पड़ते हैं या अमेरिकी सैनिक मारे जाने लगते हैं तो वह वहां से भी भाग लेता है। अफगानिस्तान में अमेरिकी क्रियाकलापों को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। MM

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