लैटिन अमरीकी देशों पर वर्चस्व जमाने का अमरीका का सपना
(last modified Tue, 26 Apr 2022 11:35:46 GMT )
Apr २६, २०२२ १७:०५ Asia/Kolkata
  • लैटिन अमरीकी देशों पर वर्चस्व जमाने का अमरीका का सपना

अमरीका अपने पड़ोसी लैटिन अमरीकी वामपंथी देशों के ख़िलाफ़ शत्रुतापूर्ण नीतियां जारी रखे हुए है। यही वजह है कि अमरीकी महाद्वीप के देशों के जून में होने वाले सम्मेलन में, क्यूबा को आमंत्रित नहीं किया गया है। इस सम्मेलन से हवाना को ग़ायब करने के इस क़दम की, क्यूबा के विदेश मंत्री ब्रूनो रोड्रिग्ज ने कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि अमरीका हमेशा दोहरी नीतियों पर चलता है।

वाशिंगटन, वर्षों से लैटिन अमरीकी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने और वेनेज़ुएला, बोलिविया और क्यूबा जैसे देशों में अपनी पिट्ठू सरकार लाने का प्रयास करता रहा है। लेकिन समस्त प्रयासों के बावजूद, वह अभी तक अपने इस उद्देश्य में सफल नहीं हो सका है। हां कुछ देशों ने ज़रूर अमरीका की ओर झुकाव दिखाया था और वे वाशिंगटन पर काफ़ी हद तक निर्भर हो गए थे, लेकिन बदले में उन्हें आज़ादी और आत्मसम्मान का सौदा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस कड़वे अनुभव के बाद, उन देशों ने भी अपनी स्वाधीनता की रक्षा करते हुए आज़ादी का मार्ग चुना और अमरीकी साम्राज्य का विरोध करना शुरू कर दिया। यही बात क्यूबा के विदेश मंत्री ने ज़ोर देकर कही है कि अब वाशिंगटन को यह समझना होगा कि लैटिन अमरीका बदल चुका है और अब इस इलाक़े में किसी की दादागिरी चलने वाली नहीं है।

हालांकि लैटिन अमरीकी देशों के प्रतिरोध के बावजूद, व्हाइट हाउस क्षेत्रीय देशों को झुकाने के लिए नए नए हथकंडे आज़मा रहा है। लैटिन अमरीकी देशों में आयोजित होने वाले चुनावों और उनमें वामपंथी दलों की जीत को नकार रहा है। वह अपने इस मक़सद के लिए क्षेत्रीय संस्थाओं और संगठनों का भी दुरुपयोग कर रहा है। यही वजह है कि कई देश अब तक अमरीकी देशों के संगठन से ख़ुद को अलग कर चुके हैं।

निकारागुआ के विदेश मंत्री डेनिस मोंकाडा ने कहा है कि उनके देश ने अमरीकी देशों के संगठन से अपना स्थायी प्रतिनिधि वापस ले बुला लिया है, और उसने वहां अपना मिशन बंद कर दिया है। मोंकाडा ने ज़ोर देकर कहा कि निकारागुआ अब इस संगठन का सदस्य नहीं रहेगा।

इसके बावजूद, अमरीका, क्षेत्र पर अपना वर्चस्व जमाने का सपना देख रहा है। स्पेनिश बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, कुछ लोग आज भी लैटिन अमरीका को अपना प्राइवेट रिजॉर्ट समझ रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि वाशिंगटन, इस क्षेत्र पर अपना वर्चस्व जमाने में नाकाम रहा है।