अपना मॉडल थोपने पर पोप ने की पश्चिम की आलोचना
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11 मई 2016 को वेटिकन के सेंट पीटर स्कवासर पर भाषण देते पोप फ़्रांसिस
पोप फ़्रांसिस ने पश्चिमी देशों की उन देशों पर प्रजातंत्र का अपना मॉडल थोपने की आलोचना की जिन देशों में अलग सामाजिक व राजनैतिक संरचना है।
पोप फ़्रांसिस ने कहा, मौजूदा आतंकवाद की समस्या के मद्देनज़र, पश्चिमी रंग में रंगे प्रजातंत्र के मॉडल को उन देशों पर थोपने की कोशिश पर सवालिया निशान लगता है जिन देशों की सत्ता बहुत कठोर थी जैसे इराक़ और लीबिया कि जहां क़बायली ढांचा था।
पोप ने कहा, “इन संस्कृतियों को मद्देनज़र रखे बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते।”
इसी प्रकार पोप फ़्रांसिस ने ख़ामोशी से लबिया में पूर्व तानाशाह क़ज़्ज़ाफ़ी के अपदस्थ और उसकी हत्या होने के बाद मची अराजकता व हिंसा की ओर इशारा करते हुए कहा, “जैसा कि लीबिया के एक व्यक्ति ने अभी हाल में कहा कि पहले एक क़ज़्ज़ाफ़ी था अब 50 क़ज़्ज़ाफ़ी हैं।”
क़ज़्ज़ाफ़ी के अपदस्थ होने के बाद लीबिया प्रतिद्वंद्वी आतंकियों के लिए रणक्षेत्र बन गया है।
लगभग 5 साल पहले अमरीका की अगुवाई में पश्चिम समर्थित मिलिटेंसी के नतीजे में सितंबर 2011 में क़ज़्ज़ाफ़ी अपदस्थ हुए थे।
इस समय लीबिया में दो प्रशासन है एक जिसे पश्चिमी शक्तियों की ओर से मान्यता हासिल है वह तबरूक शहर में है और दूसरा प्रशासन त्रिपोली में है। (MAQ/N)