मैक्रां की चेतावनी, ऊर्जा संकट वास्तव में गंभीर है
(last modified Sun, 09 Oct 2022 10:22:07 GMT )
Oct ०९, २०२२ १५:५२ Asia/Kolkata

फ़्रांस के राष्ट्रपति कहते हैं कि आने वाला जाड़े का मौसम, यूरोपियों के लिए बहुत कठिन होंगा।

फ़्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि आगामी सर्दियों के मौसम में यूरोपियों को गैस की आपूर्ति के लिए बहुत प्रयास करने होंगे। 

उन्होंने कहा कि अपने एशियन सहयोगी देशों के साथ यूरोप, गैस ख़रीदने के संबन्ध में समन्वय करेगा।  वे कहते हैं कि इस संबन्ध में आपूर्तिकर्ताओं के साथ वार्ता को बढ़ाएगा।  यूरोपीय संघ के सदस्यों के राष्ट्राध्यक्षों का कहना है कि ऊर्जा संकट के समाधान के लिए वे एकल ऊर्जा नीति पर काम कर रहे हैं।  हालांकि साक्ष्य बताते हैं कि ऊर्जा संकट से निबटने के लिए यूरोपीय देशों के बीच एक प्रकार का मतभेद पाया जाता है।

प्राग में आयोजित यूरोपीय संघ के देशों के गै़र आधिकारिक सम्मेलन में चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि वे यूरोपीय संघ के ऊर्जा संकट के एकल समाधान के पक्षधर हैं और इसके व्यक्तिगत या राष्ट्रीय स्तर के समाधान का विरोध करते हैं।  इससे पहले पीटर फियाला ने जर्मन सरकार के 200 अरब यूरो के राष्ट्रीय ऊर्जा सहायता पैकेज का विरोध किया था।  उन्होंने कहा कि अगर हम जर्मनी की तरह राष्ट्रीय पैकेज बनाएंगे तो इससे सबको नुक़सान होगा इसलिए एसा नहीं होना चाहिए।  यूरोपीय देशों के नेताओं की यह बातें आने वाले जाड़े में यूरोप के सामने खड़े ऊर्जा संकट की गंभीरता को स्पष्ट करती हैं।

यूक्रेन युद्ध के साथ ही अमरीका का साथ देते हुए यूरोपीय देशों ने रूस से ऊर्जा की ख़रीद का बहिष्कार किया जिसके बाद वहां पर ऊर्जा का संकट पैदा हो गया जो दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।  हालांकि अमरीका के साथ मिलकर यूरोपीय देश रूस के विरुद्ध प्रतिबंध लगाकर उसपर दबाव बनाना चाहते थे किंतु इस काम से वे स्वयं ही दबाव में आ गए और चाल उल्टी पड़ गई।

रूस पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों के बाद माॅस्को ने यूरोप के लिए ऊर्जा की सप्लाई को या तो बंद कर दिया या फिर बहुत सीमित कर दिया।  रूस के इस काम के बाद यूरोप में गंभीर ऊर्जा का संकट पैदा हो चुका है जिसे हल करने के लिए यूरोपीय देश कोशिशें कर रहे हैं।  अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेन्सी की प्रमुख भी कह चुकी हैं कि वर्तमान ऊर्जा संकट के समाधान के लिए यूरोपीय संघ को परस्पर सहयोग करने की ज़रूरत है।

आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यूरोप पर यूक्रेन युद्ध के दुष्परिणाम लंबे समय तक बाक़ी रहेंगे।  उनका कहना है कि यह 20 वर्षों तक रह सकते हैं।  वर्तमान समय में यूरोप जिस ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है वह केवल इसलिए पैदा हुआ कि यूक्रेन युद्ध में यूरोपीय संघ ने अमरीका का समर्थन किया।  इस समर्थन का दुष्परिणाम अब यूरोपीय जनता को भुगतना पड़ रहा है।  वे इस समय अभूतपूर्व ऊर्जा संकट का सामना कर रहे हैं और अभी यह पता नहीं है कि वर्तमान संकट कब समाप्त होगा।

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