बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन की ख़राब शुरूआत
(last modified Tue, 15 Nov 2022 08:49:10 GMT )
Nov १५, २०२२ १४:१९ Asia/Kolkata
  • बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन की ख़राब शुरूआत

मंगलवार को इंडोनेशिया के बाली में शुरू होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की शुरूआत ही ख़राब हो गई है, क्योंकि सदस्य देशों के बीच तनाव और मतभेदों के चलते उद्घाटन से पहले ग्रूप फ़ोटो सेशन रद्द कर दिया गया।

इंडोनेशियाई अधिकारियों का कहना है कि जी-20 की परंपरा के ख़िलाफ़ सदस्य देशों के आपसी मतभेदों और तनाव के कारण सम्मेलन में भाग लेने वाले सदस्य देशों के नेताओं का ग्रूप फ़ोटो सेशन नहीं हो सका।

दर असल, दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के राष्ट्राध्यक्षों का यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब विश्व रूस-यूक्रेन युद्ध, भोजन  संकट और उर्जा संकट समेत कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है।

इस सम्मेलन में अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और फ़्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों समेत दुनिया के कई नेता भाग ले रहे हैं, लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन शरीक नहीं हो रहे हैं।

जी-20 दुनिया की बीस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जिसके नेता जी-20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने से जुड़ी योजनाएं तैयार करते हैं। जी-20 वार्षिक शिखर सम्मेलन 2008 की विश्व आर्थिक मंदी के बाद शुरू हुआ था। यह सम्मेलन आर्थिक मामलों में सहयोग का प्रमुख वैश्विक फ़ोरम भी है।

दुनिया का 85 फ़ीसदी आर्थिक उत्पादन और 75 फ़ीसदी कारोबार जी-20 समूह के देशों में ही होता है। दुनिया की दो तिहाई आबादी भी जी-20 देशों में ही रहती है।

इस समूह में यूरोपीय संघ समेत 19 राष्ट्र अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ़्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ़्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। स्पेन को भी मेहमान के रूप में बाली जी-20 शिखर सम्मेलन में बुलाया गया है।

रूस-यूक्रेन युद्ध, अमरीका और चीन के बीच बढ़ता तनाव, लगातार बढ़ रही महंगाई, बेरोज़गारी, वैश्विक आर्थिक संकट और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे इस सम्मेलन में हावी रह रकते हैं।

सम्मेलन के इतर अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाक़ात करके दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और टकराव कम करने की मांग की है, तो वहीं कहा जा रहा है कि बाइडन यूक्रेन-रूस युद्ध में मास्को का विरोध नहीं करने के कारण, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं।