Mar २०, २०२३ १७:४८ Asia/Kolkata
  • चीनी राष्ट्रपति की मास्को यात्रा अमरीकी ख़ेमे के लिए चिंताजनक क्यों?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सोमवार को तीन दिवसीय दौरे पर रूस की राजधानी मास्को पहुंच रहे हैं, जहां वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ वन ऑन वन मुलाक़ात करेंगे, जिन्हें वह अपना सबसे अच्छा दोस्त क़रार देते हैं।

मास्को में होने वाली यह मुलाक़ात दोनों देशों के नेताओं के बीच 40वीं मुलाक़ात होगी। चीन के राष्ट्रपति को हाल ही में अभूतपूर्व रूप से तीसरे टर्म के लिए देश का नेता चुना गया है। जिनपिंग की नीतियों से साफ़ ज़ाहिर है कि वह दुनिया पर अमरीका के अधिनायकवाद को ख़त्म करके बहुध्रुवीय विश्व के विचार में यक़ीन रखते हैं।

चीनी राष्ट्रपति की मास्को यात्रा से यूक्रेन युद्ध की समाप्ति के लिए कोई महत्वपूर्ण क़दम उठाए जाने की उम्मीद भी है, जो अब दूसरे साल में दाख़िल हो चुका है। इस युद्ध में दोनों ही ओर से हज़ारों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग अपना घर बार छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं।

हालांकि इस युद्ध के लिए सीधे तौर पर रूस को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि यह अमरीका और उसके कुछ सहयोगी देश हैं, जिन्होंने यह युद्ध रूस पर थोपा है। नाटो का लगातार विस्तार करके रूस के सामने सुरक्षा चुनौतियां पेश करना और नाटो को रूस की सीमाओं तक ले जाने की कोशिश को इस युद्ध के प्रमुख कारणों में से माना जा रहा है।

यहां यह सवाल उठता है कि शी जिनपिंग का मॉस्को दौरा रूस और चीन के लिए क्या लेकर आएगा, इससे यूक्रेन युद्ध किस तरह प्रभावित होगा और दोनों देशों के आपसी संबंधों पर इसका क्या असर होगा?

हाल ही में ईरान और सऊदी अरब के बीच संबंधों की बहाली के लिए मथ्यस्थता करने वाले चीन से यूक्रेन में युद्ध विराम और मास्को और कीव के बीच वार्ता शुरू करने के प्रस्ताव को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं। इसे इन ख़बरों से भी बल मिल रहा है कि पुतिन से मुलाक़ात के बाद, जिनपिंग यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमिर ज़लेंस्की के साथ भी वर्चुअल मीटिंग करेंगे। अगर ऐसा होता है तो पिछले साल फ़रवरी में युद्ध शुरू होने के बाद, जिनपिंग और ज़ेलेंस्की के बीच यह पहली सीधी बातचीत होगी।

कहा जा रहा है कि चीनी राष्ट्रपति की मास्को यात्रा के दौरान, पुतिन और शी जिनपिंग के बीच तेल, गैस और एनर्जी पाइपलाइन को लेकर भी बातचीत हो सकती है। वहीं, ईरान-सऊदी अरब के बीच दोस्ती के बाद, चीन रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध रुकवाकर वैश्विक शांतिदूत का दर्जा हासिल करने में कामयाब होता है तो यह शी जिनपिंग के लिए बड़ी बात होगी।

सार्वजनिक रूप से चीन का मत यह है कि सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान होना चाहिए और इसके साथ ही सभी देशों की सुरक्षा से जुड़ी जायज़ चिंताओं का भी सम्मानपूर्वक समाधान होना चाहिए।

 

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