Oct १७, २०२३ १६:१० Asia/Kolkata

बेल्ट एंड रोड अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग मंच की बैठक में भाग लेने के उद्देश्य से रूस के राष्ट्रपति विलादिमीर पुतीन मंगलवार को बीजिंग पहुंचे। 

इससे पहले सोमवार को रूस के विदेशमंत्री लावरोफ ने बताया था कि चीन और रूस के राष्ट्रपति, द्विपक्षीय संबन्धों पर वार्ता करने के उद्देश्य से मुलाक़ात करने जा रहे हैं। 

रूस के राष्ट्रपति की बीजिंग यात्रा को दो महाशक्तियों के बीच अमरीका के नेतृत्व में एकध्रुवीय व्यवस्था के मुक़ाबले में देखा जा रहा है।  चीन की ओर से सहयोग दर्शाने पर रूस के राष्ट्रपति ने उसकी सराहना की है।  इससे पहले फरवरी 2020 में चीन और रूस के राष्ट्रपतियों ने एक संयुक्त बयान जारी करके कहा था कि इन दो महाशक्तियों की दोस्ती की कोई सीमा निर्धारित नहीं है।  अपनी हालिया चीन यात्रा से पहले विलादिमीर पुतीन कह चुके हैं कि सन 2024 तक मास्को और बीजिंग के बीच व्यापारिक लेनदेन 200 अरब डालर तक हो जाएगा। 

रूस और मास्को का यह मानना हे कि वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय परिवर्तन यह बता रहे हैं कि पूरा विश्व, बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है जबकि अमरीका अब भी अपनी पूरी क्षमता के साथ एकध्रवीय व्यवस्था को बाक़ी बनाए रखने के प्रयास में लगा हुआ है।  वह अब भी विश्व के थानेदार की भूमिका निभाना चाहता है।  रूस और चीन के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि परस्पर संबन्धों में विस्तार आवश्यक है।  यह दोनो देश आर्थिक, व्यापारिक, सैनिक, सुरक्षा और कूटनीति के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सहकारिता कर रहे हैं। 

क्षेत्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संकटों पर नीति अपनाने में इस गठजोड़ के सबसे महत्वपूर्ण आयामों में से एक, यूक्रेन युद्ध के बारे में चीन की तटस्थ नीति है।  वह रूस की निंदा करने से इन्कार कर चुका है और मास्को के विरुद्ध पश्चिमी प्रतिबंधों का हिस्सा नहीं बना है।  बीजिंग का मानना है कि अमरीका के नेतृत्व में नैटो का आक्रामक व्यवहार ही यूक्रेन युद्ध के भड़कने और उसके अबतक जारी रहने का कारण रहा है। 

रूस और चीन के बीच बढ़ते सहयोग पर अमरीका के नेतृत्व वाले पश्चिमी ब्लाक की नकारात्मक प्रतिक्रियाएं आती रही हैं।  अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इन दो शक्तियों के बढ़ते प्रभाव से नाराज़ अमरीका अब उनकी बढ़ती शक्ति को विश्व के लिए गंभीर ख़तरे के रूप में पेश करने लगा है।  रूस तथा चीन के बढ़ते संबन्धों का पश्चिम की ओर से विरोध किये जाने के बावजूद यह दोनो शक्तियां अपने संयुक्त हितों के दृष्टिगत उनको अधिक से अधिक विस्तृत करने में लगी हुई हैं।

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