May ०४, २०२४ १७:४५ Asia/Kolkata
  • पूर्वी गठबंधन अमेरिकी व्यवस्था को कैसे चुनौती देता है?

पार्सटुडेः अमेरिकी पत्रिका "फॉरेन अफेयर्स" ने 2 लेखों में रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया के बीच गठबंधन के कारणों और उसके परिणामों को लेकर चर्चा की।

फॉरेन अफेयर्स ने अपने दोनों ऑर्टिकल में यह बताने की कोशिश की है  कि सभी चार देश, रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका को अपने प्रभाव क्षेत्र के विस्तार में मुख्य बाधा मानते हैं। लेख में यह भी कहा गया है कि रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया का गठबंधन, दुनिया में एक नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था स्थापित करना चाहता है। इन 2 लेखों में, "फॉरेन अफेयर्स" ने कहा कि रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया अपने संबंधित क्षेत्रों में वाशिंगटन की उपस्थिति को कम करना चाहते हैं। साथ ही इन ऑर्टिकल में यह भी आया है कि चीन, ईरान, उत्तर कोरिया और रूस का मंच वर्तमान व्यवस्था को ख़त्म करने के लिए एक संगठित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए कोई विकल्प नहीं है।

फॉरेन अफेयर्स ने अपने इन 2 लेखों में, वर्तमान अमेरिकी व्यवस्था के मुख्य सिद्धांतों के प्रति इन देशों के आम विरोध और चीन, ईरान, उत्तर कोरिया और रूस की संयुक्त कार्यवाही के लिए एक शक्तिशाली आधार के रूप में परिवर्तन लाने के उनके दृढ़ संकल्प का हवाला दिया।

इन लेखों में इस्लामी गणराज्य ईरान और रूस के बीच रणनीतिक सहयोग का भी उल्लेख किया गया है और कहा गया है:

ईरान के साथ रूस के संबंधों में भी ऐसी ही गतिशीलता है। मॉस्को और तेहरान ने एक ऐसी साझेदारी बनाई है जिसे बाइडन प्रशासन "अभूतपूर्व रक्षा साझेदारी" कहता है जो संयुक्त सैन्य क्षमताओं को बढ़ाती है। अत्याधुनिक विमान और ड्रोन, वायु रक्षा, ख़ुफ़िया, निगरानी, ​​टोही और साइबर क्षमताओं के आदान-प्रदान से साझेदारी को संयुक्त राज्य अमेरिका या इस्राईल द्वारा संभावित सैन्य और विनाशकारी अभियानों के ख़िलाफ़ प्रभावी जवाबी उपाय प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी।

फॉरेन अफेयर्स ने अपने दोनें लेखों में डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया के प्रयासों की ओर भी इशारा करते हुए लिखा है कि पूर्वी धुरी राष्ट्र के सदस्य अपने आर्थिक लेनदेन को अमेरिकी प्रवर्तन कार्यवाहियों की पहुंच से हटाकर पश्चिमी प्रतिबंधों की प्रभावशीलता को कमज़ोर करते हैं।

अंत में इस अमेरिकी पत्रिका ने शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स में ईरान की सदस्यता की ओर इशारा किया और लिखा कि ईरान को इन दोनों संगठनों में शामिल होने के लिए आमंत्रित करके चीन और रूस पश्चिम के साथ संबंधों में संतुलन बनाने की दिशा में आगे बढ़े हैं। (RZ)

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