इस्राईल की हिमायत की वजह से ही अमेरिका में फैला इस्लामोफ़ोबिया
(last modified Wed, 05 Jun 2024 07:10:10 GMT )
Jun ०५, २०२४ १२:४० Asia/Kolkata
  • इस्राईल का समर्थन करने के मक़सद से अमेरिका में फैला इस्लामोफ़ोबिया
    इस्राईल का समर्थन करने के मक़सद से अमेरिका में फैला इस्लामोफ़ोबिया

पार्सटुडे - इस्लामोफ़ोबिया अमेरिका में एक ऐसी घटना है जो स्वतंत्रता से पूरी तरह से विरोधाभास रखती है और यह अमेरिकी युवाओं के लिए वाशिंग्टन सरकार पर विश्वास न करने की एक वजह बन गयी है।

नवम्बर 2024 में अमेरिकी थैंक्सगिविंग डे पर 20 वर्षीय 3 फ़िलिस्तीनी छात्रों को जो बर्लिंगटन और वर्मोंट में टहल रहे थे, अचानक एक अजनबी ने गोली मार दी।

इस गोलीबारी का शिकार होने वालों में एक हिशाम आवारतानी थे जो कमर से नीचे तक पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो गए। तीनों फ़िलिस्तीनी छात्रों ने गले में स्कार्फ़ डाल रखा था और अरबी व अंग्रेज़ी में बात कर रहे थे, अब यह अटकलें तेज़ हो गईं कि ये युवक इस्लामोफ़ोबिक हमले के शिकार हुए।

इस बारे में वर्मोंट के मिडिलबरी कॉलेज ने गोलीबारी को "अमेरिकी परिसरों में इस्लामोफ़ोबिक कृत्यों में उल्लेखनीय वृद्धि" का सबूत बताया।

आवरातनी की मां एलिज़ाबेथ प्राइस (Elizabeth Price) ने एक रेडियो साक्षात्कार में कहा कि उन्होंने वेस्ट बैंक में तीन बच्चों का पालन-पोषण किया, जहां बच्चों को नियमित रूप से इस्राईली सैनिकों और कट्टरपंथी ज़ायोनी बस्तियों की हिंसा का सामना करना पड़ता है, और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि हेशाम को अमेरिका में निशाना बनाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका में फ़िलिस्तीनी होने का मतलब असुरक्षित होना है।

बेशक इस्लामोफ़ोबिया अमेरिका और उससे बाहर बुरी तरह से फैली हुई है और इस समस्या ने सबको जकड़कर रख लिया है।

अक्सर यह महसूस किया जाता है कि मुसलमानों की ज़िंदगी वास्तव में बेकार है क्योंकि पश्चिम एशिया में अमेरिका के युद्धों में लगभग दस लाख लोग मारे गए हैं।

इसीलिए ग़ज़ा में मारे गए 36 हज़ार फ़िलिस्तीनियों की ज़िंदगियां जो अधिकतर मुस्लिम हैं, अमेरिका के लिए मूल्यहीन और बेकार हैं।

अमेरिका में मुस्लिम हिंसा का शिकार हैं और अरबों और फ़िलिस्तीनियों की तरह उनकी सुरक्षा ख़तरे में है।

दूसरी ओर कुछ अमेरिकी संस्थाएं इस्लाम के प्रति रुझान की व्याख्या लगभग यहूदी विरोधी भावना के रूप में करती हैं।

अमेरिकी युवा, जो आज विरोध आंदोलनों के केंद्र में हैं, इस्लामोफ़ोबिया को हराने के संघर्ष को फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों को बहाल करने के आधार के रूप में देखते हैं।

ये युवा यह भी जानते हैं कि अमेरिका को उसके इस्लाम विरोधी तास्सुब से आज़ाद कराने के लिए फ़िलिस्तीनी जनता को उनके ज़ुल्म और अत्याचार से आज़ाद कराने की आवश्यकता है।

कीवर्ड्स: अमेरिकी विश्वविद्यालय के छात्रों का विरोध, इस्लामोफ़ोबिया की जड़ें, ग़ज़ा, अमेरिका और इस्राईल में नरसंहार (AK)

 

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