लंदन ने ब्रितानी पुलिस को अधिक अधिकार क्यों दिया?
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ब्रितानी का फ़िलिस्तीनी समर्थकों के साथ हिंसक व्यवहार
पार्स टुडे – ब्रिटेन ने देश में विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए पुलिस को नए अधिकार देने की घोषणा की।
लंदन ने कहा कि ब्रितानी पुलिस को बार-बार होने वाले विरोध प्रदर्शनों के संबंध में नियम लागू करने के नए अधिकार दिए जाएंगे। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया जब हाल के दिनों में करीब 500 लोग “फ़िलिस्तीन एक्शन” समूह का समर्थन करने वाले प्रदर्शनों में गिरफ्तार हुए।
आलोचकों के अनुसार यह निर्णय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री किरा स्टार्मर की राजनीतिक और आर्थिक संकट की झलक है और लंदन की आंतरिक दबावकारी नीतियों का इज़रायल के प्रति असीम समर्थन और वैश्विक युद्धोन्माद से सीधे संबंध है।
पार्स टुडे ने नूर न्यूज़ के हवाले से बताया कि पुलिस को अधिकार बढ़ाने की घोषणा ऐसे समय में की गई जब स्टार्मर सरकार अभूतपूर्व आर्थिक और सामाजिक संकट में फंसी हुई है। प्रधानमंत्री के आर्थिक वादे असफल साबित हुए हैं और ब्रेक्सिट को हटाना भी इस थकी हुई अर्थव्यवस्था के घावों पर मरहम नहीं रहा।
भारी कर दबाव, सामाजिक बजट में कटौती और स्टार्मर का “कष्टदायक बजटीय निर्णय” स्वीकारना दर्शाता है कि लंदन आर्थिक कठोरता और सार्वजनिक असंतोष की ओर बढ़ रहा है। विरोध प्रदर्शनों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को अधिक अधिकार देना, सुरक्षा उपाय से ज्यादा, यूनियनों और मजदूर वर्ग के विरोध की लहर को नियंत्रित करने का राजनीतिक प्रयास है।
स्टार्मर सरकार आंतरिक दबाव से बचने के लिए यूक्रेन युद्ध की निरंतरता और पश्चिम एशिया में तनाव जैसी अंतर्राष्ट्रीय संकटों को हवा दे रही है, लेकिन वास्तव में यह संकट को लंदन की सड़कों से वैश्विक मंच पर स्थानांतरित कर रही है।
स्टार्मर और ट्रम्प के बीच चिंताजनक समानताएँ
लेबर सरकार की आंतरिक और बाहरी नीतियाँ तेज़ी से चरम दक्षिणपंथ की ओर बढ़ रही हैं। स्टार्मर, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तरह, राष्ट्रवादी आधार को लुभाने के लिए प्रवासियों और अल्पसंख्यकों को दबाने की ओर मुड़े हैं। स्थायी निवास की शर्तों को कठिन बनाने के लिए गृह मंत्रालय की नई योजना इस दृष्टिकोण का स्पष्ट उदाहरण है जबकि प्रवासी इस देश की श्रम शक्ति और सामाजिक सेवाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। विदेश नीति में, इंग्लैंड ने ईरानी राष्ट्रीय तेल कंपनी की संपत्ति जब्त की और ईरानी संस्थाओं पर प्रतिबंध बढ़ाए जिससे वह अमेरिका की शत्रुतापूर्ण नीतियों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा हो गया।
वाशिंगटन के साथ स्पष्ट तालमेल यह दर्शाता है कि स्टार्मर सरकार उसी दलदल में फँसी है जिसमें पहले ट्रम्प अमेरिका को फँसे चुके हैं। यह दलदल लोकलुभावनता, विरोधाभास और झूठ का है।
लंदन और इज़रायल के प्रति गुप्त समर्थन
पुलिस के अधिकार बढ़ाने की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब इंग्लैंड में व्यापक विरोध-प्रदर्शन चरम पर हैं। गाज़ा के लोगों का समर्थन करने वाले दर्जनों प्रदर्शन लंदन और मैनचेस्टर की सड़कों पर हुए जिसने इंग्लैंड की जनता को इजरायल की आपराधिक नीतियों के खिलाफ खड़ा किया। लंदन सरकार का तेल अवीव के प्रति व्यापक समर्थन गाज़ा प्रबंधन के लिए टोनी ब्लेयर को शामिल करना और रफ़ह में नरसंहार की अनदेखी करना इंग्लैंड की राजनीतिक संरचना और यहूदी लॉबी के गहरे संबंधों का प्रमाण है।
धार्मिक समुदायों की सुरक्षा” का दावा वास्तव में विरोध-प्रदर्शनों को दबाने का एक बहाना है और पुलिस के अधिकार बढ़ाने का कदम तेल अवीव की आक्रामक और अवैध नीतियों की रक्षा के उपकरण में बदल गया है।
विरोध के अधिकार में लंदन का स्पष्ट विरोधाभास
इंग्लैंड सरकार, जो अन्य देशों में जनता के विरोध को “स्वतंत्रता आंदोलन” कहती है और इसे अशांति में बदलने का समर्थन करती है, आज अपने देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करके अपनी असली सूरत दिखा रही है। वही राजनेता जो ईरान या रूस में विरोधों के खिलाफ “जनता के प्रदर्शन के अधिकार” की बात करते थे, अब लंदन में विरोध-प्रदर्शन को सीमित करने वाला कानून पास कर रहे हैं।
इस स्पष्ट पाखंड के सामने पश्चिमी मानवाधिकार संस्थाएँ भी चुप हैं। यूरोपियन ह्यूमन राइट्स काउंसिल और संबंधित संगठन इस दमनकारी कानून और नागरिक स्वतंत्रताओं के स्पष्ट उल्लंघन के खिलाफ कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं, यह चुप्पी वर्षों से पश्चिम की मानवाधिकार नीतियों में द्वैध मानक और राजनीतिक स्वार्थ को दर्शाती है। mm