राष्ट्रसंघ, अन्तर्राष्ट्रीय संकटों के समाधान में गंभीरता बरतेः पुतीन
रूस के राष्ट्रपति ने कहा है कि अन्तर्राष्ट्रीय संकटों के समाधान में संयुक्त राष्ट्रसंघ को बहुत गंभीरता से अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
विलादिमीर पुतीन ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के आगामी महासचिव Antonio Guterres के साथ भेंट की। इस भेंटवार्ता में उन्होंने आशा व्यक्त की एन्टोनियो गोटेरेस के महासचिव बनने से विश्व में पाए जाने वाले संकटों के समाधान में सहायता मिलेगी। भेंट के अवसर पर एन्टोनियो गोटेरेस ने कहा कि रूस जैसे प्रभावशाली देश के साथ सार्थक संबन्ध, सबके हित में हैं। उन्होंने कहा कि एकपक्षीय ढंग से कार्यवाही, वैश्विक समस्याओं के समाधान में सहायक सिद्ध नहीं हो सकती।
रूसी राष्ट्रपति की ओर से इस बात पर बल दिया जाना कि संयुक्त राष्ट्रसंघ, अन्तर्राष्ट्रीय संकटों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए, इस बात का सूचक है कि इन संकटों के समाधान का मुख्य दायित्व इसी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन पर है। इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्रसंघ के दायित्वों के निर्वाह और उसके क्रियाकलापों के लेकर उसकी कई बार आलोचनाएं हो चुकी हैं। वास्तव में द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात संयुक्त राष्ट्रसंघ का गठन, अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से ही किया गया था ताकि वह निष्पक्ष रहकर वैश्विक समस्याओं का निदान करे।
यदि संयुक्त राष्ट्रसंघ विशेषकर उसकी सुरक्षा परिषद के क्रियाकलापों पर दृष्टि डाली जाए तो हमें पता चलेगा कि संकटों के समाधान या महाशक्तियों की एकपक्षीय कार्यवाही को रोकने में यह संस्था अनउपयोगी रही है। हालिया वर्षों में अमरीका ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वयं को महाशक्ति मानते हुए कई बार एकपक्षीय ढंग से कार्यवाहियां की हैं जिसका प्रमुख उदाहरण मार्च 2003 में इराक़ पर उसका आक्रमण था। इसके अतिरिक्त अमरीका ने 2014 में आतंकवाद से मुक़ाबले के नाम पर गठबंधन बनाकर सीरिया की सरकार की अनुमति के बिना ही इस देश में हमले आरंभ कर दिये। अब हाल यह हो चुका है कि अमरीका, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वयं को महाशक्ति समझते हुए अन्य देशों के लिए कर्तव्यों का निर्धारण भी करने लगा है।
संभवतः यही कारण है कि रूस, इस बात का इच्छुक है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ अपने गठन के समय निर्धारित किये गए नियम के अनुसार निष्पक्ष होकर वैश्विक समस्याओं का समाधान करे जो वास्तव में उसका कर्तव्य है।