ब्रिटिश विदेशमंत्री का क्षेत्रीय दौरा
ब्रिटेन के विदेशमंत्री बोरिस जान्सन ने शुक्रवार की शाम से अपना क्षेत्रीय दौरा आरंभ किया जिसमें क़तर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमारात और कुवैत शामिल हैं।
ब्रिटेन के विदेशमंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विदेशमंत्री अपने क्षेत्रीय देशों के दौरे के दौरान आतंकवाद और चरमपंथ सहित संयुक्त ख़तरों से मुक़ाबले के सबंध में सहयोग, सुरक्षा मामलों और आपसी रुचि के विषयों पर विचार विमर्श करेंगे।
इन सबके बावजूद ब्रिटेन के विदेशमंत्री के अरब देशों के दौरे का मुख्य लक्ष्य, क़तर और सऊदी अरब, इमारात, बहरैन और मिस्र जैसे चार अरब देशों के बीच तनाव को समाप्त करने का प्रयास करना है। इस परिधि में क़तर संकट का हल तलाश करने जान्सन सऊदी अरब की राजधानी रियाज़ पहुंचे और उन्होंने सऊदी अधिकारियों से बातचीत की। ब्रिटेन के विदेशमंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विदेशमंत्री ने समस्त पक्षों से कुवैत की मध्यस्थता से होने वाले प्रयासों का समर्थन करने की मांग की है क्योंकि ब्रिटेन भी कुवैत की मध्यस्थता का समर्थन करता है। बयान के अनुसार ब्रिटिश विदेशमंत्री क्षेत्रीय शांति व स्थिरता के लिए फ़ार्स की खाड़ी के क्षेत्र में तनाव कम करने और एकता की बहाली का भी निमंत्रण देंगे।
लंदन ने फ़ार्स की खाड़ी के क्षेत्र में तनाव में वृद्धि के बाद अपने विदेशमंत्री को, क़तर और सऊदी अरब के संबंधों को बहाल करने और दोनों पक्षों के दृष्टिकोणों को निकट करने तथा विचार विमर्श के लिए क्षेत्र के लिए रवाना किया है। वास्तविकता यह है कि ब्रिटेन की कंज़रवेटिव सरकार ने क्षेत्र में अपनी उपस्थिति जारी रखने और अपनी सैन्य उपस्थिति को बाक़ी रखने की नीति के अंतर्गत नवंबर 2016 में बहरैन में अपनी नौसेना छावनी बनाई और उसे फ़ार्स की खाड़ी के दक्षिणी तटवर्ती देशों के बीच तनाव में वृद्धि होने में कोई रुचि नहीं है।
मध्यपूर्व के मालमों के विशेषज्ञ अली अकबर असदी ने सऊदी अरब और उसके घटक अरब देशों की मांग को रद्द किए जाने और क़तर के विदेशमंत्री के हालिया बयान की ओर संकेत करते हुए कहा कि ओबामा के काल में सऊदी अरब के विरुद्ध लगाए गये जस्टा क़ानून के बारे में स्थानीय सूचनाओं के आधार पर क़तर पश्चिम को यह संदेश देना चाहता है कि वे सऊदी अरब के विरुद्ध राजनैतिक व प्रतिबंध संबंधी कार्यवाहियां कर सकते हैं। (AK)